सैकड़ो किलकारियों को मोतिमा दीदी के हाथों ने दिया जन्म

सत्तर-अस्सी के दशक में दूर-दूर तक प्रसिद्ध दाई के रूप में जानी जाती थी...

भुवन बिष्ट

रानीखेत (अल्मोडा़)। यदि वास्तव में देखा जाय तो सदियों से हमारी परंपराओं में दाई मां का भी एक विशेष स्थान व महत्वपूर्ण भूमिका रही है। क्योंकि इस माँ के हाथों ने अनगिनत कई नाजुक जानों को इस दुनिया में सुरक्षित पहुंचाया तथा इन किलकारियों ने हर आँगन को महकाया। पूर्व में आधुनिकता की तरह गाँवों में सुविधाओं का अभाव था गाँवों में सड़कें नहीं थी और अस्पताल भी बहुत कम ही थे और सुविधा विहीन थे।

लोग सुरक्षित प्रसव के लिए दाई माँ को ही बुलाते थे। दशकों तक ऐसी ही दाई जिसने सैंकड़ों किलकारियों को हर आंगन की मुस्कान बनाया उनका नाम है मोतिमा दीदी। विकासखण्ड ताड़ीखेत के पिलखोली गाँव निवासी मोतिमा दीदी क्षेत्र के अलावा दूर दूर तक सुरक्षित प्रसव व इनके हाथों के चमत्कार के जानी जाती रही है। दशकों तक लोग इन्हें घर से बुलाकर दूर दूर गाँवों तक ले जाते थे जहाँ सुविधाओं का अभाव होता था।

वह तो पैदल पहुंचकर हर दिन किसी न किसी के जान के टुकड़े को नई जिंदगी देती और निःस्वार्थ भाव से सेवा करती। स्व. विशन सिंह फर्त्याल की पत्नी मोतिमा देवी ने बताया कि उस दौर में स्वास्थ्य सुविधाओं का होता अभाव था तथा निर्धनता भी बहुत बड़ी परेशानी होती थी। इस कारण दूर दूर तक गाँवों में पहुंचकर उस दौर में महिलाओं की सेवा की। मौना गाँव के माता गाँऊली देवी पिता बचे सिंह के घर में मोतिमा दीदी का जन्म हुआ।

बचपन से ही उन्में सिखने की ललक रही। अपनी माँ से विरासत में मिले इस प्रतिभा से उन्होंने कम उम्र से ही अनेक किलकारियों को अपने हाथों जन्म दिया। जीवन में हौंसलों से परिवार की स्थिति को भी बेहतर बनाया। क्षेत्र में अपने प्रतिभावान कार्य के लिए पहचानी जाने के कारण वह विकास खण्ड ताड़ीखेत के पिलखोली ग्रामसभा की प्रथम महिला ग्राम प्रधान भी रहीं।

बूंढ़ी कमजोर हो चुकी आँखे शरीर भी अब अस्वस्थ मोतिमा दीदी बताती हैं कि उन्होंने यह काम बहुत कम उम्र में शुुरु किया था। वह कहतीं हैं कि हमने अपनी जिंदगी में महिलाओं को बहुत सुरक्षित प्रसव कराया। जिसमें प्रसववती को यह नहीं बताते थे कि उनकी संतान लड़का है या लड़की, जन्म के प्रसव के बाद ही पता चलता था।

यह इसलिए कि बेटा बेटी में किसी प्रकार का भेदभाव न हो। बेटा बेटी एक समान हैं। प्रसिद्ध दाई मोतिमा दीदी वर्तमान में अपने पुत्र पूर्व सैनिक गोपाल सिंह फर्त्याल के साथ रहती हैं। आज भी वह पहाड़ो में स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति से भी वह बहुत चिंतित हैं और अस्पतालों में सभी को उचित उपचार मिले यही कामना करती हैं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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भुवन बिष्ट

लेखक एवं कवि

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रानीखेत (उत्तराखंड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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