मजदूर : वक्त और हालात से मजबूर

सुनील कुमार

वक्त और हालात से मजबूर है
कितना बेबस मजदूर है।
दो जून की रोटी के खातिर
सदा रहता अपनों से दूर है
कितना बेबस मजदूर है।

खुशियों के खातिर अपनों के
सब कुछ करने को मजबूर है कितना बेबस मजदूर है।

दिन-रात करता कड़ी मेहनत
फिर भी मिलता न फल अनुकूल है
कितना बेबस मजदूर है।

कुदरत के कहर के आगे
पलायन को मजबूर है
भूखा-प्यासा दिन-रात चल रहा
मंजिल अभी न जाने कितनी दूर है
कितना बेबस मजदूर है।

सूनी आंखों में सजाएं थे जो सपने
अचानक हुए सब चूर-चूर हैं
कितना बेबस मजदूर है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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