मगही लघुकथा : पंचायती चुनाव में दवाई

गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम



नदारद मुखिया :- होशियार चाचा प्रणाम ! का हाल चाल हे गांव घर के ?
होशियार चाचा :- अपने काहे प्रणाम कर के गुनाह करइत ही,हम तो प्रणाम करही वाला हली!ओइसे हाल चाल तो ठीके हे, बोलीं का बात हे।
नदारद मुखिया :- एक बार फेर हम चुनाव में खाड हिअ,जम के आशीर्वाद दिही!
होशियार चाचा :- मुखिया जी भगवान रऊवा के काम आए करम के फल देथ।
नदारद मुखिया :- पांच साल अपनही लोग के सेवा में दिन रात रहली ही।
होशियार चाचा :- रहली से ! इहे से गांव छोड़ के शहर धर लेली।आऊ मोटरसाईकिल छोड़ के स्कार्पियो।इ सेवा के ही तो फल हे मुखिया जी।आऊ का खोजईत ही!
नदारद मुखिया :- हमर काम बोलइत हे चाचा।पता करवा लिहीं केकरो से।
होशियार चाचा :- ई कहे के बात हे मुखिया जी हर दिन शाम होइते अपने के काम चिल्लाए लग हे।हर गली मोड़ और चौराहा पर !रोज भंगडा नाच होईत हे।नाली स्नान तो मत पूछूं!!

(मुखिया जी अपन चम्मचा के कान में अरे सा….आ… ला…बुढ़वा अइसे काहे बोलइत हे रे ? रोज दवाई न का दे हही रे?)

चम्मचा नंबर एक :- दे हिअई मुखिया जी।अपने विस्वास करूं।
नदारद मुखिया जी :- तब बुढ़वा अइसे काहे बकइत हे।ठहर पुछईत हिअऊ।
चम्मचा नंबर दो :- पूछ लेऊं न मुखिया जी!रोज ऐकर घर के सामने दवाई अऊ नास्ता अंधेरा होइते फेंक दें ही हमनी।
नदारद मुखिया :- हे हे हे चाचा ! काहे नराज ही हम एक महीना से रोज भकचोंधरा अऊ बतकटवा से अपने के दवाई अऊ नास्ता भेजवावइत ही मिल हे कि न ?
होशियार चाचा :- अब इ सब हम छोड़ देली मुखिया जी।इ अपनही के देल हे।पिछला चुनाव में कयल करनी के फल फल पांच साल से भोगईत ही।अपने के हराम के दवाई हमर दूनो किडनी खराब कर देलक।
नदारद मुखिया :- चाचा हम तो एकदम ब्रांड ओला दवाई बटवाव ही चुवऊवा झारखंड से डाइरेक्ट मंगा के।
होशियार चाचा :- ब्रांड हो चाहे लोकल इ हजारों लोग के जिंदगी बरबाद करइत हे।आऊ तो आऊ पढुवा लईकन भी इ के फेर में बरबाद होइत हथ जा।अपने के सब दवाई नाली में पडल हे विस्वास न हे त गिनवा लेऊं।
नदारद मुखिया :- गलती सलती माफ़ करूं चाचा।एक बार आऊ मौक़ा देऊं गलती सुधारे खातिर!
होशियार चाचा :- मौका त देब पर एक हमर शर्त हे, बोलीं कबूल हे?
नदारद मुखिया :- अपने के हर शर्त मंज़ूर हे चाचा। अपने हमर आंख खोल देली।अपन गलती पर पछताइत ही हम।
होशियार चाचा :- तब कल पुरे पंचायत के लोगों के बैठक बोला के जनता के बीच इ घोषणा करीं आज से केकरो पिला खिला के एको वोट न लेम। सिर्फ अपने काम अऊ विचार पर वोट मांगब।

(दूसरे दिन नदारद मुखिया पुरे पंचायत वासियों के बैठक बुला के अपना संकल्प दोहराते हैं और अपने किये का माफ़ी मांगते हैं। चुनाव के बाद एक बार फिर भारी बहुमत से चुनाव जीत जाते हैं।जीत के प्रमाणपत्र लेकर सबसे पहले होशियार चाचा से मिलने पहुंचते हैं।)



नदारद मुखिया :- (पैर छूकर) प्रणाम चाचा होशियार चाचा ! अपने हमरो होशियार बना देली।इ जीत हमर न अपने के विचार के हे।
होशियार चाचा :- (आगे बढ़कर) मुखिया जी के गला लगा लेलन।

(होशियार चाचा जिंदाबाद,नारद मुखिया जिंदाबाद के नारा गुंज उढअ हे।)

तीने साल के बाद होशियार चाचा और नारद मुखिया के पंचायत समुचे देश में आदर्श पंचायत के सूची में सबसे पहिला स्थान पर पहुंच गेल।एकरा ला नारद मुखिया के राष्ट्रपति से श्रेष्ठ पंचायत के अवार्ड लेवे खातिर बोलहटा मिलल।नारद मुखिया अपने साथ होशियार चाचा के लेके अवार्ड खातिर दिल्ली रवाना हो गेलन।

नोट :- जीत के बाद जनता के बीच न रहे के चलते नारद मुखिया नदारद मुखिया के नाम से जानल जाए लगलन हल।

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