कुमांऊनी रचना : सबूँकैं नई सालकिं बधाई

मानवता फैलों बरकत ऐजो निं हो रिष। दैण हैजो नई साल सन् द्वीहजार पच्चीस। सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई। यौ नई सालकिं सबूंकैं बधाई।। खुशियोंक सबूँक भरिं जो भकार, स्वैणा सबूंक हैंजो आब साकार। खेतीबाड़ी हैजो खूब हरिया सार, अन्न फलफूल दूध दैक हैजो बहार। पहाड़क ठंडी हाव मिठो पाणिक, सदा सदा सबूंकै लागि रौ … Continue reading कुमांऊनी रचना : सबूँकैं नई सालकिं बधाई