हंसते रहिए, मुस्कुराते रहिए और खुशियां बिखेरते रहिए

सुनील कुमार माथुर

परमात्मा ने हमें यह मानव जीवन दिया है और चेहरे पर एक मधुर मुस्कान दी हैं तब फिर हंसते – मुस्कुराते रहने में कंजूसी क्यों । मुस्कराहट से जहां एक ओर सामने वाला भी प्रसन्नचित्त रहता हैं वहीं दूसरी ओर चेहरे पर मधुर मुस्कान लाने कभी भी किसी भी तरह का धन खर्च नहीं होता हैं अपितु मुस्कराहट तो प्रभु का दिया हुआ एक सुन्दर व अमूल्य उपहार है ।

केवल इंसान ही नहीं अपितु पशु – पक्षी भी हंसते – मुस्कुराते हैं लेकिन हम उनकी भाषा को नहीं पहचान पाते हैं इसलिए इस बात का अनुभव नहीं कर पाते हैं ।जबकि हमारी मुस्कान से सामने वालें या अन्य के चेहरे पर खुशी के भाव दिखाई दे तो यह हमारे लिए गर्व और गौरव की बात होनी चाहिए । हम किसी को धन संपत्ति नहीं दे सकते हैं तो कम से कम एक मधुर मुस्कान तो दे ही सकतें है ।

जब एक अबोध बच्चा हंसता – मुस्कुराता है तो हमारे चेहरे पर भी अनायास मुस्कुराहट आ ही जाती हैं तब फिर भला हम मुस्कुराने में कंजूसी क्यों करें । जब हमें यह मानव जीवन मिला है तो क्यों न हम हंसते – मुस्कुराते कार्य करें । हंसते मुस्कुराते अपनी जिम्मेदारियों को निभाये । बात – बात में किस बात का रोना । काम कोई सा भी क्यों न हो जब वह हमें ही करना है तो फिर चिंता , डर , भय व टेंशन में रहकर क्यों करें अपितु हंसते मुस्कुराते हुए प्रेम पूर्वक सबके साथ मिलकर करें तभी कार्य करने में असली आनंद आता हैं ।

यह जीवन तो क्षण भंगुर है । न जाने कब मिट्टी में मिल जायें जीवन अनमोल है । अतः इसे यूं ही व्यर्थ में न गंवाये और हर पल का हंसते मुस्कुराते हुए आनंद लीजिए फिर देखिये कि जीवन की महक कैसे सर्वत्र फैलती है और आपके कार्यों की सर्वत्र प्रशंसा होगी । मान – सम्मान व यश एवं प्रतिष्ठा मिलेगी वही दूसरी ओर आपकी कार्यशैली से प्रभावित होकर अन्य लोग भी उसे अपने जीवन में आत्मसात कर गौरवान्वित होंगे लोग आपके कुशल व्यवहार को पाकर आपसे स्वतः जुडेगे और सहयोग करेगे और आपकी मधुर वाणी से प्रभावित होकर आपके संग कार्य करके आनंदित होगे चूंकि जहां प्रेम व स्नेह हैं , मुस्कान है वही आनंद और अपार खुशियां हैं ।

जब फूल खिलता हैं और जब वह अपनी खुश्बू चारों ओर बिखेरता हैं तभी तो भंवरे वहां मंडराते हैं । ठीक उसी प्रकार जब इंसान सभी के साथ एक सभान व्यवहार करता है और वह भी हंसते मुस्कुराते हुए तो उसके चाहने वालों की इस धरा पर कोई कमी नहीं है । अतः हंसते रहो , मुस्कुराते रहों और सर्वत्र खुशियां बिखेरते रहिए । यही आदर्श जीवन जीने का मूल मंत्र है ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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