इन्द्र के बोल…!

नवाब मंजूर

घड़ा था
क्या वो भी मुझसे बड़ा था?
छू जो लिया उसे
लड़ ही पड़ा मुझसे
लहूलुहान किया
जरा सी पानी के लिए
जान ले ली मेरी
ओह प्यास ने मेरी!

हाय तेरी जाति ये ऊंची
हाय मेरी जाति ये नीची!
शिक्षा के मंदिर में भी
पाठ न ये सीखी।
तभी तो मुझपर घटना ऐसी बीती
नन्हे निर्दोष के प्राण हरे
खुश रहो ऐ दुनिया वाले
हम तो चले!

लेकिन आगे से ऐसा मत करना…
प्यास बड़ी चीज़ है,
नीर के गले उतरते ही बुझती है
या गला कटने के बाद पीड़
नीर सी बहती है ।
नीर का हक सबको मिले
चराचर इसे पीकर जीए।

👉 देवभूमि समाचार के साथ सोशल मीडिया से जुड़े…

WhatsApp Group ::::
https://chat.whatsapp.com/La4ouNI66Gr0xicK6lsWWO

FacebookPage ::::
https://www.facebook.com/devbhoomisamacharofficialpage/

Linkedin ::::
https://www.linkedin.com/in/devbhoomisamachar/

Twitter ::::
https://twitter.com/devsamachar

YouTube ::::
https://www.youtube.com/channel/UCBtXbMgqdFOSQHizncrB87A


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूर

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights