मेरे विचार से ‘व्हाट्सप’
मेरे विचार से ‘व्हाट्सप’… कुछ समूह का आनंद लिया, मैंने बहा बाते करके ही, कुछ में जाकर टांग अड़ाया, उत्तर दे प्रश्नों के सुलझाया, कुछ जन परिचित… ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से आशी.प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) की कलम से…
आज मैं व्हाट्सएप की, गलियों में घूम आया ।
फिर सोचा मैंने, वहां क्यों समय गवाया।।
मैसज देखकर जब अपने अंदाज से, मोबाइल फोन पर मेरे ,
कुछ समूहों को मैंने फुलफिल हरा भरा सा पाया ।।
कुछ समूह का आनंद लिया, मैंने बहा बाते करके ही,
कुछ में जाकर टांग अड़ाया, उत्तर दे प्रश्नों के सुलझाया ।।
कुछ जन परिचित मिले, वहां रोज के मेरे साथ के,
कहीं बिना पहचान के लोग, देखकर ही में तो लौट आया।।
इतने समूह में मैंने आखिर , क्या कोई एक दोस्त बना पाया।
यह पूछा मेरे दिल ने मुझसे , मुझे मेरे दिमाग ने टटोला ।।
फिर मैंने व्हाट्सएप के सभी , सदस्यों पर एक नजर घुमाया।
कुछ जाने पहचाने परिचित मिले, कुछ राम राम करते हुए पुराने मिले।।
कुछ नए अजनबी दोस्त बने जिन्हें दोस्ती की तलाश थी।
और कुछ ऐसे भी थे जिन्हें मुझसे काम की ही आस थी।।
हाथों में मोबाइल लिए, बैठा रहा घंटों में,
पूरा पर एक दिन बीत गया आंखें थक गई हो गई भारी ।।
फिर सोचा मैंने, इस दुनिया में सच !
क्या मैं किसी का हो पाया क्या कोई सच्चा मित्र बनाया ।।
दोस्ती यारी जिससे भी निभानी , वह साक्षात ,पास हो तो बेहतर है।
व्हाट्सएप की दुनिया है यारों ! मोबाइल अपडेट की है कहानी ।।
अजनवी नमस्कार भी, यहां सुंदर प्रतीत होती हैं,
इसीलिए देखकर ,सोचा कि मैंने व्यर्थ यहां इतना समय क्यूं गवाया।।
मेरा अनुभव मेरे विचार से…
👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।