भाग्य के भरोसे कब तक बैठे रहेगे

सुनील कुमार माथुर

प्राय: लोग कहते हैं कि भाग्य में जो लिखा हैं वह होकर ही रहेगा इसलिए वे भाग्य के भरोसे बैठे रहते है लेकिन कब तक भाग्य के भरोसे बैठे रहेगे । आप तो बस मेहनत कीजिये और मेहनत का फल उठाइए चूंकि आज का जमाना प्रतिस्पर्धा का हैं न कि भाग्य के भरोसे बैठे रहने का ।

भाग्य उन्ही का साथ देता है जो कर्मशील होते है । अतः व्यक्ति को अपना रचनात्मक कार्य करते रहना चाहिए और किसी के भरोसे नहीं रहना चाहिए जो दूसरों के भरोसे बैठे रहते है वह जीवन मे कभी भी प्रगति नही कर सकते है चूंकि वे आलसी स्वभाव के लोग होते हैं और आलस्य हमारा सबसे बडा शत्रु है इसलिए भाग्य के भरोसे न बैठे ।

परमात्मा ने हमें सोचने समझने की शक्ति दी है । हम चिन्तन मनन करने में सक्षम है फिर भला भाग्य के भरोसे क्यों । आज हर क्षेत्र में कदम कदम पर प्रतिस्पर्धा है तो फिर हम पीछे क्यों रहे । यही तो वक्त हैं हमें अपनी प्रतिभा और हुनर दिखाने का । जो समय के अनुसार चलता है वही तो आगें बढता है । जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहते है । अतः इन उतार चढाव से न घबराइये और हिम्मत के साथ आगें बढें ।

अपने आप पर विश्वास रखे और आगे बढ़े । चूंकि आपकी हिम्मत ही तो आपका सबसे बडा बल है । इसलिए कभी भी हिम्मत न हारे । जीवन में थोडा बहुत रिस्क तो लेना ही पडता है चूंकि कोई भी अपने आप मे पूर्ण नहीं होता हैं । आप की सोच सकारात्मक है तो आपको अनेक मददगार मिल जायेगे जिनके कारण आप अपनी मंजिल आसानी से हासिल कर लेगे ।

याद रखिए कि परमात्मा उसी की मदद करता हैं जो अपनें आप पर भरोसा करके आगे बढता हैं । इसलिए कभी भी भाग्य के भरोसे न बेठे अपितु अपना रचनात्मक कार्य करते रहे । आलस्य को कभी भी अपने पर हावी न होने दे ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

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33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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