मुलाकात बदलते देखा है
प्रकाश वर्मा
कोटवां नरायनपुर, बलिया, उत्तर प्रदेश
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मैंने हालातों से जूझ कर
हालात बदलते देखा है
रातो ही रात में मैंने
ख्यालात बदलते देखा है
आप क्यूँ बात करते है उन गैरों की मेरे सामने
क्योंकि मैंने बात बात पर अपनो का विचार बदलते देखा है
कुछ सवाल था लोगों के मन में
जो समय के साथ बदलते देखा है
कुछ मौका मिला था हमे
जो पल दो पल फिसलते देखा है
सोचा समेट लूं उन तमाम हसीन लम्हो को
लेकिन मैने करीब से लोगों के
मुलाकात बदलते देखा है
कुछ अरमान था मेरे मन में
जिसको सामने से कुचलते देखा है
कुछ आह भरी थी मन में
जिसको खुशियों में बदलते देखा है
आंचल से ओढाकर गोदी में सुलाकर
ऐसा मां ही करती है गालिब
क्योंकि मैनें गैरो के अक्सर ख्यालात बदलते देखा है