मेहनत की कमाई
सुनील कुमार माथुर
हमें यह मानव जीवन प्रभु का दिया हुआ एक अनोखा उपहार है और जिसे यूं ही बर्बाद न करें अपितु सेवा के कार्यों में लगाकर अपने जीवन को सफल बनायें चूंकि मानव जीवन हर किसी को बार – बार नहीं मिलता हैं । यह तो हमारे पूर्व जन्मों के नेक कार्यों का ही परिणाम है कि हमें यह मानव जीवन मिला हैं । अतः इसे परमार्थ के कार्यों में लगाकर आगामी जीवन को भी सार्थक बनाइये । हमारे साथ हर वक्त पुण्य कर्म साथ रहते हैं । इसलिए हम अनेक बार बडी से बडी मुसीबत को भी पार कर लेते हैं । हमारे पुण्य कर्म हमें हर संकट से बचाते हैं । अतः जब भी कोई कर्म करे तब अच्छा ही कर्म करें और अपने पुण्य को बढायें ।
लेकिन आज का इंसान हाय धन ! हाय धन ! दिन भर करता रहता हैं और थकता ही नहीं हैं । जीवन में सब कुछ पैसा ही नहीं होना चाहिए । यह ठीक हैं कि जीवन व्यापन के लिए धन की नितान्त आवश्यकता होती हैं लेकिन धन वहीं फलता फूलता हैं जो अपनी कडी मेहनत से कमाया गया हो । खून पसीना बहाकर कमाया गया हो ।
हराम का धन , रिश्वत से कमाया गया धन , चोरी डकैती कर कमाया गया धन और किसी की आत्मा को दुखाकर कमाया गया धन घर – परिवार के विनाश का कारण बनता हैं । लक्ष्मी शुद्ध होनी चाहिए । तभी उसका जीवन में महत्व हैं । गलत तरीके से कमाया गया धन हमें कभी भी चैन व सुख की नींद नहीं लेने देता हैं । जो धन गलत रास्ते से आया हैं वह गलत रास्ते से ही वापस जाता हैं ।
जिस परिवार में गलत तरीके से कमाया गया धन आता हैं उस परिवार में कभी लक्ष्मी नहीं टिकती । ऐसे परिवार में लोग शराबी – ऐय्याशी, जुआरी व आपराधिक कृत्यों में लिप्त लोग ही होते हैं । उनके पास भले ही अपार सुख सुविधाएं हो नौकर – चाकर हो , गाडी बंगला हो । मगर वे कभी भी आठ घंटे की आराम की नींद नहीं ले सकते । उन्हें नींद लेने के लिए भी दवाओं का सहारा लेना पडता हैं तब भला ऐसा धन किस काम का ।
परमात्मा ने हमें शक्ति दी हैं तो अपनी शक्ति व दिमाग का सही समय पर सही इस्तेमाल कर मेहनत कर धन कमायें । मेहनत से कमायें गये धन से परिवार में सुख शान्ति व समृध्दि का वातावरण बनता हैं । इंसान चैन से रहता हैं । उसे सुख की नींद लेने के लिए कभी भी दवाओं का सहारा नहीं लेना पडता हैं । जीवन में जो मेहनत करता हैं परमात्मा हर वक्त उसके साथ रहता हैं । मेहनत की कमाई सदैव फलदायी होयी हैं और जो मेहनत से जी चुराता हैं वह कायर कहलाता हैं और जीवन मे कभी भी सफल नहीं हो सकता हैं ।
हमारे संतों व महापुरुषों व बुजुर्गों का कहना हैं कि जिस तरह से उधार पैसे लेकर हम भगवान को प्रसाद चढाते हैं तो भगवान उसे स्वीकार नहीं करतें है चूंकि वे तो व्यक्ति की खुद की कमाई से खरीदें गयें प्रसाद व वस्तु को ग्रहण करते हैं ठीक उसी प्रकार गलत तरीके से कमाया गया धन से खरीदी गयी वस्तु व प्रसाद को परमात्मा कभी भी स्वीकार नहीं करतें है लोग लोक दिखावा करने के लिए भगवान को कीमती वस्तुएं व प्रसाद चढाते हैं । नोटों की गड्डियां चढाते हैं उन्हें पुजारी भले ही स्वीकार कर ले लेकिन उसे परमात्मा कभी भी नहीं स्वीकार करते हैं चूंकि वह पाप की कमाई हैं । हराम की कमाई हैं । अतः परमात्मा सदैव मेहनत की कमाई से चढाया गया चढावा व प्रसाद ही सहज रूप से स्वीकार करते हैं ।
Nice article
Good article
Very true
Nice article
True
True
True
Correct
Awesome
True
True
Nice article
Nice
👌