सरकार वटवृक्ष की तरह बन कर कार्य करें

सुनील कुमार माथुर

विश्वास की इमारत इतनी मजबूत होनी चाहिए कि शंका की कठोर मार भी उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सके। कहने का तात्पर्य यह हैं कि व्यक्ति अपने आप पर विश्वास रखे। अविश्वास, हताशा, निराशा, कमजोर मानसिकता इंसान को कमजोर बनाती है। अत: सदैव अच्छा सोचो, अच्छा बोले व आत्मविश्वास के साथ कार्य करें। सदैव सकारात्मक सोच रखे, निराशा के भाव को मन मे न आने दे। हताशा-निराशा, नकारात्मक सोच का ही परिणाम है।

आज देश भर मे असन्तोष बढ रहा है। उसके मूल में अज्ञानता घटिया सोच व हर कार्य में राजनैतिक हस्तक्षेप मुख्य कारण है यही वजह है कि आज अपराधियो के हौसले बुलंद हैं । उन्हें राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हैं । वही दूसरी ओर पुलिस पर सवालियां निशान लग रहे हैं । उनकी कार्यशैली पर शंका की जा रही हैं । इससे पुलिस विभाग मे हताशा – निराशा के भाव पनप रहें हैं । आज स्थिति यह हैं कि पुलिस अपरधियों को पकड़े तो भी उसे ही दंड दिया जा रहा है और न पकडे तो भी वह वैसे ही बदनाम हैं कि पुलिस कुछ भी नहीं करती हैं । हाथ पर हाथ धरे रहती है या नि इधर कुआं और इधर खाई । यह कैसी दौहरी मानसिकता ।

राजनैतिक हस्तक्षेप का सबसे बडा फायदा असामाजिक तत्व उठा रहें है । यही वजह है कि आज उनकी आपराधिक गतिविधियां दिनों दिन बढती ही जा रही हैं । केन्द्र सरकार मंहगाई की मार से जनता कि कमर तोड रही हैं और राज्य सरकार अपनी ही आपसी फूट से ऊपर नहीं आ रही है । वह अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में जनता की ऐसी की तैसी कर रही हैं ।

सरकार कोई भी हो उसे लोक कल्याणकारी होना चाहिए और जनता के दुख दर्द को समझना चाहिए और उनसे राहत दिलानी चाहिए । जिस तरह से हरा भरा वटवृक्ष जनता को फल , फूल व छाया देता है ठीक उसी प्रकार वटवृक्ष की तरह सरकार को भी चाहिए कि वह जनता की हीफाजत करें । जनता को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए व अधिक से अधिक जन कल्याणकारी कार्य करने चाहिए ।

कोई भी बिमारी तब तक नहीं जाती है जब तक हम उसके मूल को न समझे । हर जगह मौन भी एक गुनाह है । अगर हमारे सुरक्षा कर्मी ( पुलिस ) हताश-निराश हो जायेंगे तो समाज व राष्ट्र की सुरक्षा कौन करेगा ? सरकार को चाहिए़ कि वह हर विभाग को अपना अपना काम करने दे एवं स्वयं भी पारदर्शिता के साथ बिना किसी हस्तक्षेप के अपना कार्य करें ।

वही दूसरी ओर हर विभाग व सरकार पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ कार्य करें । तभी समाज व राष्ट्र का विकास , उत्थान और प्रगति हो सकेगी । जहां हस्तक्षेप होता हैं वही सदैव सबसे ज्यादा अनर्थ होता हैं जिससे सदैव असन्तोष पनपता हैं खाना खाने के लिए मुंह फुलाने की नहीं अपितु मुंह खोलने की जरुरत है ठीक उसी प्रकार से हर विभाग की अपनी अपनी जिम्मेदारियां हैं और उन्हें सरकार बिना हस्तक्षेप किये अपना काम करने दे । इसी में समाज व राष्ट्र का हित हैं । सरकार तो बस वटवृक्ष की तरह बन कर कार्य करें ।

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