गौरैया रानी

विश्व गौरैया दिवस पर एक रचना...

सुनील कुमार

भोर पहर मेरे घर आंगन में
हर दिन वो आ जाती थी
छत पर बिखरे दानों को
चुन-चुन कर खाती थी।

ढेरों खिलौने थे पास मेरे
पर मन को वो ही भाती थी
हाथ लगाऊं जैसे ही उसको
फुर्र से वो उड़ जाती थी।

फुदुक-फुदुक कर चलती थी
गीत खुशी के गाती थी
चीं-चीं-चीं-चीं कर‌के वो
मुझको पास बुलाती थी।

जाता जैसे पास मैं उसके
फुर्र से उड़ जाती थी
नन्हीं प्यारी सी गौरैया
शायद मुझसे डर जाती थी।

देखो सूनी पेड़ों की डाली
छत पर भी छाई है वीरानी
इंसानों ने की जब नादानी
गुम हो गई गौरैया रानी।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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