हर हाथ को काम मिले तभी अपराधियों पर अंकुश लगेगा

सुनील कुमार माथुर

समय-समय पर देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अनेक प्रयास किये गये और आज भी प्रयास किये जा रहे है लेकिन आजादी के इतने वर्षो के बाद भी जहां थे वही के वही है । अगर सुधार मान भी लिए जाये तो वे ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर ही होगा । आज जहां एक ओर सरकारी स्कूलों की अपनी इमारतें नहीं है ।

वहां फर्नीचर, अध्यापकों का अभाव, खेलकूद के मैदान का अभाव, वाचनालय, पुस्तकालय का अभाव, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का अभाव सर्वत्र नजर आता है वही दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों की अपनी इमारतें हैं । मनमानी फीस है । बस्ते , जूते , किताब कापियां, पानी की बोतल यानि कि हर वस्तु उनकी बताई गई दुकान से खरीदो आखिर मरता क्या ना करता । परिवार के लोग अपना पेट काट कर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढाने को मजबूर है । मगर सरकारी महकमा मूकदर्शक बना यह सब देख रहा है और घडियाली आंसू बहा रहा है।

क्लिक करें और देखें वीडियो

आज सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल व दूध का वितरण कर बच्चों में मांगने की प्रवृति पैदा की जा रही है जो आने वाले समय में घातक सिद्ध होगी । आज सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता का अभाव नजर आ रहा है । जब चाहे तब शिक्षकों को चुनाव में, रैलियों में, पोषाहार वितरण में, प्रतिनियुक्ति पर अन्यत्र लगा दिया जाता है । इससे सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढाई पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है । वही वे प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की तुलना में पिछड रहे है । सरकारी स्कूल में बच्चों के आने जाने पर भी रोक नहीं है । वे स्कूल समय में साईकिल सीख रहे है । स्कूल में झाडू लगा रहे है फिर भला हम कैसे इनसे आदर्श नागरिक बनने की उम्मीद करें ।

आज देश भर में शिक्षा के जो हालात है वे किसी से छिपे नहीं है।

आज देश भर में शिक्षा के जो हालात है वे किसी से छिपे नहीं है । शिक्षा के नाम पर हर वर्ष स्कूल व कालेज खुल रहे है और लाखों की तादाद में बच्चे पास हो रहे है लेकिन उस अनुपात में रोजगार नहीं मिल रहा है । जिन्हें रोजगार की आस बंधती है उनके मामले कोर्ट में लटक जाते है और शिक्षित बेरोजगार युवाओं की यह फौज अपराध जगत की ओर मुड रहीं है ।

यही वजह है कि आज देश में अपराध बढ रहें है हम मात्र पुलिस को दोषी ठहरा रहें है कि वह अपराधी को नही पकड रही हैं । अगर हर हाथ को काम मिल जाए तो काफी हद तक अपराधो पर अंकुश लग सकता है । आज का युवा शिक्षित है । यही वजह है कि अधिकांश अपराधी पढे लिखे व हुनर वाले है जो रोजगार के अभाव में राष्ट्र की मुख्यधारा से भटक गये है । मंहगी शिक्षा व ऊपर से यह बेरोजगारी ने उन्हें अपराधी बना दिया ।

बढते अपराध “समाज का सिरदर्द”, शिक्षा संस्कारवान हो…

बढते अपराध समाज का सिरदर्द है । अतः शिक्षा संस्कारवान हो । वह बच्चों को देश का आदर्श नागरिक बनायें । शिक्षण संस्थाओं में जिन संसाधनों की कमी हो उसे तत्काल पूरा किया जाए । शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाये व भविष्य में शिक्षकों को अन्य कार्यों में न लगाया जाए । प्रारम्भ से ही बच्चों में देश भक्ति की भावना का संचार करें । पाठ्यपुस्तकों में हमारे देशभक्तों के पाठ हो । स्वत्रंतता सेनानियों, राष्ट्र भक्त कवियों, साहित्यकारो की जीवनियां व उनके त्याग व बलिदान की गाथा का समावेश हो ताकि युवा पीढ़ी इनके जीवन से प्रेरणा ले सके ।

आदर्श नागरिक बने । संस्कारवान बने । शिक्षा ऐसी हो जो राष्ट्र की मुख्यधारा से भटके लोगों को सही मार्ग दिखा सके । बेरोजगारी दूर हो व हर हाथ को काम मिले । कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर पदों की संख्या कम न करें । तभी एक आदर्श व खुशहाल भारत का सही मायने में निर्माण हो सकेगा ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

 

14 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights