न जानें किसकी नजर लग गई
सुनील कुमार माथुर
कल रात प्रभु ने सपने में दर्शन दिये और कहा , हे मेरे भक्त कैसे हो ! क्या कोई चिंता सता रही हैं । कोई भय या डर का माहौल तो नहीं है जीवन में । यह सुनकर मैं हडबडा कर उठा और प्रभु से बोला , हे प्रभु ! आप भी कैसा मजाक कर रहे हैं साम्प्रदायिक सद् भाव व सौहार्द के इस शहर में गत दिनों जो घटित हुआ हैं वह क्या आप से छिपा हैं ।
न जानें किन लोगों ने यहां के वर्षों क्या पीढियों पुराने साम्प्रदायिक सद् भाव व सौहार्द के माहौल को बिगाड दिया जमकर तोडफोड की । शहर के शान्त वातावरण को अशान्त कर दिया । शहर के शान्त वातावरण में जहर घोलने का प्रयास किया । भला हो प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस प्रशासन का जिसने समय रहते स्थिति पर काबू पा लिया अन्यथा न जाने क्या होता , इसकी कल्पना मात्र से ही रौंगटे खडे हो गयें ।
हे प्रभु ! असामाजिक तत्वों को कठोर से कठोर दंड दीजिए ताकि देश भर में अमन चैन कायम रहें । कहीं भी ऐसी अनहोनी घटना घटित न हो । हे प्रभु ! आप तो अन्तर्यामी हैं आप से असामाजिक तत्व छिपे थोडे ही हैं । आप तो बस प्रशासन को मदद कीजिए । इंटरनेट सेवाओं के बंद होने से हमारी दुनियां ठप सी हो गयी ।
व्हाट्सएप व ई मेल के बिना हमारा संसार सूना सूना हो गया जो मोबाइल हम एक पल के लिए भी अपनी आंखों से दूर नहीं होने देते थे वही इतने दिनों तक एक कौने में पडा – पडा उपेक्षा का शिकार हो रहा था । हे प्रभु ! इंटरनेट सेवाओं के चालू होने से अब जीवन में बहुत बडी राहत मिली हैं । सभी नगरवासियों के चेहरों पर मुस्कान आई हैं । वही दूसरी ओर प्रशासन ने भी राहत की सांस ली ।
हे प्रभु ! प्रशाशन व पुलिस प्रशासन धन्यवाद का पात्र है जिसकी बदौलत स्थिति को शीघ्र काबू में कर लिया । हे प्रभु कभी भी किसी को ऐसे दिन भविष्य में फिर से न देखने पडें इसकी अभी से ही व्यवस्था कर दीजिये । हम हृदय से आपके आभारी रहेगे ।
हे प्रभु ! आप भले ही हमें एक वक्त का भोजन दीजिए और एक वक्त हम भूखें रह लेगे लेकिन ऐसे बुरे दिन फिर से देखने को न मिले ऐसी व्यवस्था कर दीजिये।
सूर्य देवता की इतनी भंयकर बरसती आग के बावजूद हमारे शहर की शांति प्रिय जनता गर्मा गर्म मिर्ची बडा खा लेती हैं लेकिन इस तरह के दंगे फसाद सहन नहीं कर सकती हैं चूंकि यहां की जनता के रग – रग में प्रेम , दया , करूणा , ममता , वात्सल्य व भाईचारे का भाव भरा पडा हैं ।
इतना ही नहीं साम्प्रदायिक सद् भाव व सौहार्द का यह शहर हैं जिसकी बोली में भी मिठास हैं ।न जानें इसे किसकी नजर लग गई जो ये बुरे दिन देखने पडें।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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