स्वादिष्ट फल व सब्जियां

सुनील कुमार माथुर

अशोक की मां सब्जियों को लेकर सुबह – शाम परेशान रहती थी । उसे समझ में नही़ आता था कि क्या बनाऊं और क्या न बनाऊं । चूंकि अशोक को कोई भी सब्जी पसंद नहीं आती और हर सब्जी में मीनमेख निकालता था । एक दिन मां ने उसके पापा के समक्ष अपनी समस्या रखी।

अशोक के पिता चेतन दूसरें दिन अपने मित्र सुनील के पास गये और अपनी समस्या रखी । सुनील ने मित्र की समस्या सुनी और चेतन को तत्काल अपने बगीचे में ले गया और पूरा बगीचा घुमाया । बगीचे में तरह तरह के पुष्प , फल व सब्जियों को देखकर चेतन दंग रह गया । काफी देर चर्चा करने के बाद जब चेतन जाने लगा तो सुनील ने बगीचे में लगी सब्जियां व फल एक थैले में डालकर चेतन को दिये और कहा कि आज अशोक को ये फल व सब्जियां खिलाना और फिर उसकी प्रतिक्रिया मुझे बताना ।

चेतन ने जब अशोक को खाने के लिए केले , अमरूद , अनार व चीकू दिये तो उन्हें खाते ही अशोक के मुंह से वाह क्या फल है मजा आ गया । जब उसने खाना खाया तो अपनी अंगुलियां चाटता रह गया और मां से बोला , मम्मी आज तो सब्जी़ में मजा आ गया । हमेंशा ऐसी ही सब्जी बनाया करों। तब मां ने सारी बात अशोक को बताई कि यह फल व सब्जियां कहां से आई ।

रविवार का दिन था । अशोक अपने पापा के संग सुनील अंकल के घर गया और वहां उनका बगीचा देखा तो दंग रह गया । सुनील अंकल ने कहा बेटा ! यह हमारी कडी मेहनत का परिणाम है । यही हमारी बैठक हैं चूकि यहां छायादार वृक्ष , खुशबूदार पुष्प , मीठे मीठे फल तथा ताजा , स्वादिश्ट व पौष्टिक सब्जियां लगी हुई है । अतः यहां एक बार बैठने के बाद उठने का मन भी नहीं होता है।

रसोई से आने वाले पानी का सदुपयोग भी और ये जाता है और स्वादिष्ट फल व सब्जियां भी मिल जाती हैं जो स्वादिष्ट , गुणकारी , मीठे व रसीलें फल व सब्जियां खाने को मिल जाती है वहीं दूसरी ओर इस मंहगाई के दौर में घर की सब्जियां व फल सस्ते पडने से आर्थिक रुप से धन की भी बचत होती हैं।

उन्होंने कहा कि हरे भरे वृक्ष धरती के आभूषण है व पर्यावरण संतुलन बनायें रखते है । इनकी हवा ही हमारी प्राण वायु हैं । अतः घर में ही पुष्प , फल व सब्जियां लगाकर मंहगाई की मार से बचा जा सकता हैं वही दूसरी और पौष्टिक भी होते हैं । अतः पौष्टिक आहार का सेवन करे । स्वस्थ रहें और रोग मुक्त रहें ।जीवन अनमोल है और इसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

6 Comments

  1. आपके विचार बिल्कुल सही है। घर के बगीचे में यदि सब्ज़ियाँ लगालें तो जो स्वाद आपको मिलेगा वो बाज़ार से लायी सब्ज़ी में नहीं मिलेगा। तो आपका कथन बिल्कुल सही प्रतीत होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights