डाक सेवा पर कोरियर सेवा व मोबाइल सेवा भारी

सुनील कुमार माथुर

विश्व डाक दिवस 9 अक्टूबर को मनाया जाता हैं । डाक सेवा बडी ही विश्वसनीय सेवा मानी जाती हैं । कोरियर सेवा व मोबाइल सेवा से पहलें डाक सेवा का ही बोलबाला था और लोग पोसाटमैन का इन्तजार किया करते थे । जैसे ही गली मौहल्ले में साईकिल की घंटी सुनाई पडती वैसे ही लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल कर पोस्टमैन के आने व डाक देने का इंतज़ार करते । अगर पोस्टमैन बगैर डाक दिये घर के बाहर से चला जाता तो बडी निराशा होती थी चूंकि लोग अपने मित्रों व परिजनों के पत्र का इन्तजार किया करते थे ।

अनेक घरों में तो रोज डाक आती थी चूंकि कई घरों में ऐसे लोग रहते थे जिनका कार्य केवल लेखन ही था । जैसे किसी कम्पनी , संस्थान , फैक्ट्री में थोक के साथ डाक आती थी ठीक उसी तरह से इनके घरों में भी डाक आती थी । जैसे कि वकील , पत्रकार , साहित्यकार , विधार्थी । पहले लोग पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिये परीक्षा दिया करते थे और अपना अध्ययन किया करते थे । पत्रकारों व साहित्यकारों के यहां आयें दिन तरह-तरह के अखबार व पत्र – पत्रिकाएं आया करती थी । अनेक प्रकाशक व पत्र पत्रिकाओ के संपादक लेखकों व साहित्यकारों को निःशुल्क नमूने की प्रतियां भेजा करते थे ।

भारी तादाद में जहां डाक आती थी वहीं दूसरी ओर उतनी ही तादाद में डाक जाती थी । डाक घरों से लोग डाक सामग्री खरीदने जाते थे तो डाक पोस्ट भी किया करते थे । गांवों व शहरों में जगह-जगह लेटर बाक्स लगे देखे जा सकते थे । प्राप्त ङाक के लिफाफों पर से डाक टिकट उतार कर लोग टिकटों का संकलन किया करते थे । आज भी लोग डाक टिकटों का संकलन करते हैं लेकिन खरीद कर जबकि पूर्व में प्राप्त डाक के लिफाफों पर नाना प्रकार के डाक टिकट आते थे और संकलन करने वालों को कही जाना नहीं पडता था ।

समाज के कुछ जागरूक लोग नियमित रूप से संपादक के नाम पत्र लिखते थे और समाचार पत्रों के माध्यम से जन समस्याओं को उजागर करते थे । इसके लिए वे पोस्टकार्ड , अंतर्देशीय पत्र व लिफाफों का इस्तेमाल करते थे और थोक के भाव में पत्र लिखकर जनता , प्रशासन व सरकार के बीच एक कडी का कार्य करते थे । डाक विभाग ने बाद में मेघदूत पोस्ट कार्ड भी आरम्भ किये जिनकी कीमत 25 पैसे रखी व उन पर विज्ञापन प्रकाशित हुआ करता था । अब शायद ऐसे पोस्ट कार्ड कुछ ही चुनिंदा डाकघरो में मिलते होंगे ।

मेघदूत पोस्ट कार्ड का प्रयोग ज्यादातर वकील , मुंशी , व्यापारी वर्ग व पत्र लेखक लोग ही किया करते थे । लेकिन जब से कोरियर सेवा आरंभ हुई तब से डाक सेवा धीरे-धीरे कम होने लगी व मोबाइल सेवा ने तो एक तरह से डाक सेवा पर ब्रेक सा लगा दिया । चूंकि मोबाइल पर हाथो हाथ बात हो जाने से पत्र का लिखना बंद सा हो गया । आज अनेक स्थानों से लेटर बाक्स हट गये हैं । आज अगर आपकों डाक पोस्ट करनी हैं तो शहर में कहीं भी आसानी से लेटर बाक्स उपलब्ध नहीं होंगे । इसके लिए आपकों डाकघर ही जाना होगा।

भले ही डाक सेवा कम हो गयी लेकिन आज भी यह सेवा सबसे विश्वसनीय सेवा मानी जाती हैं । सरकारी कार्यालय की डाक तो आज भी डाकघर के माध्यम से ही जाती हैं । आज भी डाकघरों के माध्यम से रजिस्ट्री व स्प्रिट पोस्ट सेवा बडी तादाद में जाती हैं कि आती हैं । हां पहलें की अपेक्षा अब डाक कम आती हैं व पोस्टमैन के दर्शन तो कभी कभाद ही होते हैं । विश्व डाक दिवस पर डाक सेवा से जुडे तमाम डाकघर अधिकारियों व कर्मचारियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं ।

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