कोरोना का कहर फिर सिरदर्द बना

सुनील कुमार माथुर

कोरोना महामारी की तीसरी लहर की जो आशंका दिखाई दे रही थी उसने फिर से दस्तक देकर सभी के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया । हम अभी कोरोना महामारी के भय से मुक्त भी नहीं हुए कि इसने एक बार फिर से दस्तक देकर सभी को भयभीत कर दिया । हमारी लापहरवाही का ही यह परिणाम है कि हमें आज एक बार फिर से कोरोना का कहर झेलना पड रहा है ।

सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए हमें काफी समय तक सावधानियां बरतने के लिए आगाह किया लेकिन हमने कभी भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और इस बीमारी को हल्के में ही लिया जिसके गंभीर परिणाम हम कोरोना महामारी के दूसरे चरण में भुगत चुके हैं । अनेक लोग मारे गयें । किसी परिवार में कमाने वाला चला गया तो किसी की संतान चली गयी ।

कुल मिलाकर अनेक परिवारों पर कोरोना का कहर बरपा और परिवार के परिवार बर्बाद हो गयें । लेकिन हम अभी तक इस जनहानि से सबक नहीं ले पायें । इससे अधिक मूर्खता और क्या हो सकती हैं कि हम आज भी कोरोना काल में सरकार व प्रशासन ध्दारा दिये गये दिशा निर्देशों की पालना नहीं कर रहें है ।

कोरोना काल में अनेक परिवारों के रोजगार छिन गयें थे । उन परिवारों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या खडी हो गयी थी । ऐसे वक्त हमारे भामाशाह देवदूत बनकर आयें और कोई व्यक्ति भूखा न सोयें इस मिशन को लेकर चलें और अपनी – अपनी सामर्थ्य के अनुसार मदद भी की ।

कोरोना महामारी पूरी तरह से समाप्त भी नहीं हुई कि सरकारों ने अपने स्वार्थ की खातिर चुनाव करायें , रैलियां निकाली , सभाएं की । इसके बाद सरकारी दफ्तर , कल कारखाने , शिक्षण संस्थान , बाजार , आवागमन , धार्मिक स्थल , पार्क , पर्यटन स्थल आदि – आदि खोल दिये । नतीजन तीज-त्यौहार , ब्याह शादियों के सीजन ने तमाम गाइडलाइन की धज्जियां उडा दी ।

हर कोई बिना मास्क व सोशलडिस्टेशिग के घूम रहा हैं और दोष हम सरकार को दे रहें है जबकि सावधानी तो हमें स्वंय रखनी हैं । हमारी लापहरवाही का ही यह परिणाम है कि कोरोना महामारी ने एक बार फिर से दस्तक देकर हमें लपेटे में लेना आरम्भ कर दिया । कोई भी बीमारी उम्र देखकर नहीं आती हैं अपितु हमारी लापहरवाही का ही परिणाम होती हैं ।

हमारी सरकार व प्रशासन ने जनता-जनार्दन को बहुत समय तक समझाया – बुझाया । पत्र – पत्रिकाओं में विज्ञापन देकर नुक्कड़ नाटकों के जरिये जनता-जनार्दन को जागरूक किया निःशुल्क टीकाकरण किया । लेकिन इन सबके बावजूद हम आज भी नहीं चेते । न जाने कब समझ पायेंगे ।

शैक्षण संस्थानों से कोरोना पीडित बच्चों के जो आंकड़े आ रहें है वे चौकाने वालें और चिंताजनक हैं । अभी भी समय हैं कि सरकार एक बार फिर से शिक्षण संस्थानों को बंद कर दे और बाजारों में भीडभाड को कम करने के लिए फिर से बाजार खोलने व बंद करने का समय निर्धारित करें तथा ब्याह शादियों में 50 लोगों से अधिक का प्रवेश ही रखें । चूंकि हमारे देश की जनता उस मायने कि हैं कि हम नहीं सुधरेंगें । लापरवाही कोई कर रहा हैं और उसकी सजा कोई और भुगत रहा हैं ।

आज चाय की होटलों , बसों , टेम्पो , बाजारों में, शिक्षण संस्थानों में हर कोई बिना मास्क व सोशलडिस्टेशिग की पालना के घूम रहें है और कोरोना का कहर बरपा रहें है । सरकार बिना मास्क व सोशलडिस्टेशिग की न करने वालों को दंडित करें तभी समस्या का समाधान निकल पायेगा । वरना ये तो मरेगे ही मरेगे दूसरों को भी ले डूबेंगे ।

कोरोना महामारी के दौरान जहां एक ओर सरकार ने पेट्रोल व डीजल एवं रसोई गैस के दाम बढायें और रसोई गैस पर मिलने वाली सबसिडी बंद कर जनता-जनार्दन को लूटा वही व्यापारियों ने सब्जियों व खाध पदार्थों के दाम बढाकर जनता को जमकर लूटा और घर का पूरा बजट डगमगा गया जिससे उबर पाना मुश्किल है । अब भी वक्त हैं जनता-जनार्दन कोरोना से बचाव हेतु मास्क लगाएं और सोशलडिस्टशिग की पालना करें । इसी में सबकी भलाई है ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

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33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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