बयानवीरों के बिगड़ैल बयान…

ओम प्रकाश उनियाल

हमारे देश में बयानवीरों की कमी नहीं है। किसी न किसी विषय पर ये ऊल-जलूल बयानबाजी करने में माहिर होते हैं। बयानबाजी करते समय बयानवीर जोश में होश खो बैठते हैं और ऐसी बयानबाजी कर बैठते हैं जिससे समाज आहत होता है। फिर शुरु होते हैं धरने-प्रदर्शन, दंगे-फसाद, तोड़-फोड़, आगजनी जैसी घटनाएं।

जिससे जान-माल की भारी क्षति होती है। जिसका खामियाजा बाद में आम लोगों को भुगतना पड़ता है। साथ ही बयानवीरों को खुद भी भारी विरोध झेलना पड़ता है। हालांकि, विवादित बयान कोई खास महत्व नहीं रखते लेकिन समाज तो भेड़ चाल चलता है। विरोध करने वाले भी इतने सक्रिय रहते हैं कि मौका चूकने नहीं देते। किसी के मुंह से विवादित बयान निकला नहीं कि झट से खिलाफत शुरु।

भड़काऊ या विवादित बयान चाहे कैसे भी हों या तो चर्चा में रहने के लिए दिए जाते हैं या फिर समाज को तोड़ने, आपस में टकराव कराने, नफरत व वैमनस्य फैलाने के लिए। कुछ बयानवीर तो ऐसे होते हैं कि उन्हें यह पता तक नहीं होता कि मुद्दा क्या है। ज्ञान तो उन्हें होता नहीं। बस कुछ न कुछ बोलना ही है।

उसका असर क्या पड़ेगा इससे उन्हें कोई सरोकार नहीं होता। भले ही वह शिक्षित हो अशिक्षित। मजहबी बयानबाजी सबसे ज्यादा खतरनाक होती है। जिसके अनेकों उदाहरण हैं। हाल ही में घटी हैदराबाद की घटना पर नजर डालें तो बयानबाजी की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। जब किसी बयानबाजी को ज्यादा तूल देने का प्रयास किया जाता है तो उसका परिणाम भी गंभीर होता है।

इंसान के पास बुद्धि जरूर है लेकिन उसका सदुपयोग कहां और कैसे करना है यह निर्णय हर कोई नही ले पाता। एक तरफ हम अखंड भारत का नारा देते हैं दूसरी तरफ अनर्गल बयानबाजी कर देश तोड़ने की चाल चलते हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। चाहे वह नेता हो या अन्य कोई भी। आम नागरिक का भी दायित्व बनता है कि बयानबाजों पर ज्यादा ध्यान न दें। उनके उकसावे में न आएं और भेड़ चाल कदापि न चलें।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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