फूलों से मुस्कुराना सीखें
सुनील कुमार माथुर
आज का इंसान मशीनरी जीवन व्यतीत कर रहा हैं और हर वक्त टेंशन में रहता हैं । यही वजह हैं कि आज का इंसान जल्दी से हिम्मत हार जाता हैं और मौत को गले लगा लेता हैं यह किसी समस्या का समाधान नहीं हैं । हमें यह जो मानव जीवन प्रभु ने उपहार स्वरूप प्रदान किया है वह हमारे पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों का ही परिणाम है । वरना मानव जीवन को पाने के लिए परमात्मा स्वंय तरस रहें है ।
जब हमें यह मानव जीवन मिला हैं तो क्यों न हम फूलों की तरह खिले रहे मुस्कुराते रहें । अपनी मुस्कान के साथ स्वंय खुश रहे और फूलों की तरह से मुस्कुराते हुए दूसरों को भी खुश रखें ।
पुष्प सवेरे खिलता हैं और दिन भर अपनी महक , खुश्बू बिखेरता है और उसकी खुश्बू व महक उधर ही जाती हैं जिधर की हवा होती है लेकिन इंसान के चेहरे व हुनर की कीर्ति चारों दिशाओं में एक साथ फैलती हैं । इसलिए व्यक्ति को हमेशा हंसते – मुस्कुराते रहना चाहिए और दूसरों को भी खुश रखने के लिए प्रयास करना चाहिए तभी सही ढंग से जीवन जीने में आनंद आता हैं । वरना जीवन तो पशु-पक्षी भी जीते है ।
कार्य रोकर करों या हंसते – मुस्कुराते करो । करना आपको ही हैं तो फिर मुस्कुराते हुए ही करें । जिस तरह से कांटे व पतियां पुष्प की सुरक्षा करती हैं और उसकी सुंदरता को बनाये रखते हैं और उस वृक्ष की डाली उसे थामें रखती हैं । मजबूती प्रदान करती हैं तब फिर हम तो एक इंसान हैं हमें भी वृक्ष की डालियों की तरह से झुकना आना चाहिए और प्रेम , स्नेह , ममता व वात्सल्य की भावना जागृत कर उसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए और दुःखीजन के चेहरे पर मुस्कान लानी चाहिए ।
हमेशा नेक कार्य करें । राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत कीजिए जरूरतमंद लोगों की हर संभव मदद कीजिए । श्रद्धा का भाव बनायें । नम्र बने । सबके बने । सबके साथ चलें । अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल करें । ज्ञान की ज्योति जलाये । सबको शिक्षित व संस्कारित करें । भ्रष्टाचारियों का पर्दाफाश करें । चाहे वह किसी भी उच्च पद पर आसीन क्यों न हो ।
कभी भी अपराधियों का साथ करें और न ही उन्हें संरक्षण प्रदान करें । आपकी सजगता , सतर्कता और आपकी सूझबूझ से ही राष्ट्र को मजबंती मिलेगी और राष्ट्र प्रगतिशील और आत्मनिर्भर बन पायेगा । अगर कोई नियमों का उल्लघंन करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए ।
किसी भी नेक कार्य को पूरा करने में अडगेबाजी नहीं करनी चाहिए और न ही विरोध के लिए विरोध करें । न ही सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास करें । सत्य व सच्चाई का साथ दीजिए । समाज व राष्ट्र को कमजोर करने वाली ताकतों से दूर रहें और राष्ट्र प्रेम की भावना के साथ आगें बढें जहां प्रेम व स्नेह हैं वही खुशियाँ अपार है ।
अतः सदैव खुश रहें । मस्त रहें । मुस्कुराते व खिलखिलाते रहें । राष्ट्र की मुख्यधारा से कटे हुए और भटके हुए लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोडिये । संगठित समाज व खुशहाल राष्ट्र यहीं है हमारी असली पहचान ।
आज समाज के वर्तमान हालातों को देखते हुए हर कोई दुखी परेशान व चिंताग्रस्त हैं । हर किसी के चेहरे पर परेशानियों का जाल मंडरा रहा हैं चूंकि आखिर वह करें भी तो क्या करें समस्याएं अनेक हैं लेकिन उनके समाधान दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं । इसका बस एक ही उपाय है सजग रहे सतर्क रहें और हर हाल में मस्त रहें और मुस्कुराते और खिलखिलाते रहें । यही वक्त की पुकार है और यहीं वक्त का तकाजा है ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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