पुजारी के मुख से झूठ सुनकर मैं दंग रह गया
सुनील कुमार माथुर
रविवार का दिन था । मैं अपने मित्र के घर उससे मिलने के लिए गया । उस वक्त वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ गणेश जी के मंदिर जा रहे थे । वे मुझे भी साथ ले गये । रास्ते में मित्र ने बताया कि यार मेरा पुत्र रोशन बहुत जिद्दी हो गया है । उसके कारण हम बेहद परेशान हैं । तुम लेखक , पत्रकार और साहित्यकार हो । कोई तरीका बताओं ताकि इसकी जिद से मुक्ति मिले ।
मैं बोला भाई ! मैं स्वतंत्र लेखक , पत्रकार व साहित्यकार जरुर हूं लेकिन कोई डॉक्टर नहीं हूं । हां इस बारे में सोच विचार कर तुम्हें कोई उपाय जरुर बताउंगा । बातों ही बातों में कब मंदिर आ गया । पता ही नही चला । मंदिर में एकदम शांति थी । कुछ लोग मंदिर के बाहर धूप में बैठे थे और कुछ लोग फ़ोटो खिच रहे थे । हम लोग भगवान गणेशजी के दर्शन कर परिक्रमा ही लगा रहे थे कि मंदिर के पुजारी जी के पास किसी का फोन आया ।
पुजारी जी फोन पर झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे और फोन पर कह रहे थे मंदिर में काफी भीड हैं । पांव रखने के लिए भी जगह नहीं है । शादियों का सीजन हैं लोग जात लगाने आ रहे है । यहां श्वास लेने की फुर्सत नही हैं । इतना कह कर फोन काट दिया ।
यह बात सुनकर मैं दंग रह गया और सोचने लगा कि गणेश जी तो बुद्धि के देवता हैं और हमारे प्रथम पूज्यनीय देवता है जिन पर हमें इतना भरोसा है कि वे हमारे सभी कार्यों को बिना बाधा के पूर्ण करते है और उनकी पूजा आराधना करने वाला पुजारी इतना झूठ धडल्ले से बोल सकता है तो बच्चों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा । इंसान की सोच सकारात्मक होनी चाहिए न कि नकारात्मक ।
हम परिक्रमा कर बाहर आये और बातों ही बातों में मैने मित्र के पुत्र रोशन से कहा , बेटा ! यह मंदिर भगवान गणेशजी का है जो बुद्धि के देवता है । अतः आज यह संकल्प ले कि कभी भी जीवन में कोई जिद नहीं करुंगा । बच्चे ने यह संकल्प ले लिया और हम घर लौट आये ।
कुछ दिनों बाद मित्र का फोन आया कि यार , तुने रोशन से उस दिन ऐसा क्या कहा कि वह उस दिन के बाद कोई भी जिद नही की । मैने कहा कि कोई कुछ नहीं कहा सिर्फ बच्चे को प्रेम से समझाया कि जिद न करे बस । उस संकल्प पर बच्चा चल रहा है तो चलने दीजिए ।
मित्र बोला यार ऐसा संकल्प अचानक तेरे दिमाग में कहा से आया । मैने कहा कि यह सब मंदिर के पुजारी जी की देन है । वो अगर झूठ नहीं बोलता तो मैं तत्काल कुछ भी नहीं सोच सकता । कभी – कभी झूठ भी हमें नई राह दिखा देता है ।
इसका अर्थ यह नहीं है कि हम जीवन में सदा झूठ ही बोलें । झूठ से सदा दूर रहे । जो झूठ का सहारा लेता हैं वह जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता । हां झूठ बोलकर भले ही आप धन कमा लेगे लेकिन मान – सम्मान , इज्ज़त व जनता-जनार्दन का प्रेम नहीं पा सकते । हमारी असली धरोहर ( पूंजी ) सत्य ही हैं । सत्य पर चलने वाले लोग ही अपने लक्ष्य को हासिल कर खुशहाल जिंदगी जी सकतें है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को सच्चाई व ईमानदारी के मार्ग पर चलना चाहिए व कभी भी भूलकर व मजाक में भी झूठ नही बोलना चाहिए । मजाक में बोला गया झूठ भी बाद में आदत में बदल जाता हैं और झूठ व नकारात्मक सोच जब हम पर हावी हो जीते हैं तो जीवन का महत्व खत्म हो जाता है और जब जनता का विश्वास हम पर से उठ जाता हैं तो यह जीवन जीने योग्य नहीं रहता है और हर कोई झूठे को इस धरती पर भार ( बोझ ) समझते हैं ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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