संगत का असर
संगत का असर… कुसंगत हमें हमेंशा बुरे कार्य की ओर ले जाती है जबकि सुसंगत अच्छे कार्य की ओर ले जाती है। हमारा यह मानव जीवन अनमोल रत्न है। अतः इसे सुसंगत कर आदर्श जीवन बनाये न कि कुसंगती कर इसे बिगाडें। जहां सुसंगत है, वही प्रेम स्नेह, मिलनसारिता, वात्सल्य, धैर्य, सहनशीलता, परोपकार, और अपनेपन का भाव है #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
कहते हैं कि जीवन में जैसी संगत होती है वैसा ही जीवन में असर पडता है। इसलिए व्यक्ति को कुसंगत से दूर रह कर सुसंगत का साथ करना चाहिए। कुसंगत से सदैव दूर रहे। अगर आपका मित्र शराबी है, जुआरी है तो उसका आपके जीवन पर अवश्य ही असर पडेगा। ऐसे लोगों को लोग शराबी, दारूडा कहते हैं। जुआरी को भी लोग हेय दृष्टि से देखते हैं।
इतना ही नहीं लोग ऐसे लोगों का प्रायः अपमान करते हैं। शुभ कार्य स्थल से इन्हें भगा दिया जाता हैं। कोई भी इनके पास बैठना नहीं चाहते हैं। यहां तक कि इन्हें दुत्कार दिया जाता हैं। इसलिए हमेंशा अच्छे लोगो का संग करें। सुसंगत करे। भजन कीर्तन और कथा में जाये और हो सके तो अपने यहां भी भजन कीर्तन व कथा कराये। इससे जीवन में मान सम्मान मिलेगा, लोग आपका आदर स्वागत करेगे, इज्जत करेंगे।
चूंकि आपकी संगत अच्छे लोगो के संग हैं। इसलिए जीवन में जब भी संगत करे तब अच्छे लोगों के संग ही करें। कभी भी किसी को बिना वजह परेशान न करें एवं सभी के साथ समान व्यवहार करे। आप दूसरों से जैसा व्यवहार चाहते हैं वैसा ही व्यवहार आप दूसरों के संग कीजिए।
कुसंगत हमें हमेंशा बुरे कार्य की ओर ले जाती है जबकि सुसंगत अच्छे कार्य की ओर ले जाती है। हमारा यह मानव जीवन अनमोल रत्न है। अतः इसे सुसंगत कर आदर्श जीवन बनाये न कि कुसंगती कर इसे बिगाडें। जहां सुसंगत है, वही प्रेम स्नेह, मिलनसारिता, वात्सल्य, धैर्य, सहनशीलता, परोपकार, और अपनेपन का भाव है