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साहित्य लहर

कविता : पांच अगस्त

पांच अगस्त… जन्मभूमि के लिए जिन्होंने अपनी जान गंवाई है, राम-नाम के जयकारों संग उनका नाम भी आया है। जागो भारत वासी हिन्दू अपनी आंखें खोलो तुम, अपने धर्म की रक्षा के लिए एक-जूट हो जाओ तुम। अब न करना अगड़ा-पिछड़ा… #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार

पांच अगस्त इतिहास बना है
पुण्य तिथि कहलाया है,
पांच सौ वर्षों के संघर्षों के बाद
आज भगवा झंडा लहराया है।

घर-घर में दिवाली मनाई
राम राज्य फिर आया है,
सत्य सनातन धर्मों का
हिन्दू में जोश जगाया है।

जन्मभूमि के लिए जिन्होंने
अपनी जान गंवाई है,
राम-नाम के जयकारों संग
उनका नाम भी आया है।

जागो भारत वासी हिन्दू
अपनी आंखें खोलो तुम,
अपने धर्म की रक्षा के लिए
एक-जूट हो जाओ तुम।

कविता : ज्ञानवाणी

अब न करना अगड़ा-पिछड़ा
जाति-धर्म की राजनीति,
भाई-भाई से अलग न होना
घर-घर जाकर दीप जलाना।


पांच अगस्त... जन्मभूमि के लिए जिन्होंने अपनी जान गंवाई है, राम-नाम के जयकारों संग उनका नाम भी आया है। जागो भारत वासी हिन्दू अपनी आंखें खोलो तुम, अपने धर्म की रक्षा के लिए एक-जूट हो जाओ तुम। अब न करना अगड़ा-पिछड़ा... #डा उषाकिरण श्रीवास्तव

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