साहित्य लहर
आगाज़
राजीव डोगरा
इन अंधेरों को बोलिए
रोशनी का आगाज़ करें।
इन नफरतों को बोलिए
मोहब्बत का इजहार करें
इन दुखों को बोलिए
सुखों का आगाज़ करें।
इन ग़मो को बोलिए
इश्क का थोड़ा इजहार करें।
इन तारों को बोलिए
हमारे चांद का आगाज़ करें।
इन परवानों को बोलिए
जलने से पहले
आपने राग को अनुराग करें।
इन मुर्दों को बोलिए
जलने से पहले
नफरत को छोड़कर
मोहब्बत का आगाज़ करें।
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