मौन रहने में ही भलाई
मौन रहने में ही भलाई, यह सब आदर्श संस्कारों का अभाव हैं। संयुक्त परिवार बिखर रहें हैं टूट रहे हैं और एकल परिवार में माता पिता के पास वक्त नहीं हैं कि वे बच्चों को संस्कारवान, चरित्रवान व ज्ञानवान बना सकें। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
आज कहने को हम एक सभ्य समाज में रहते हैं लेकिन अधिकांश जनता स्वार्थी और मतलबी हैं। वे हर कार्य में अपना स्वार्थ देखती है व मतलब हो तभी बात करती हैं। वर्तमान के दौर में कोई सुखी नहीं हैं चूंकि उनकी लालसाएं दिनों दिन बढती ही जाती हैं।
अपार धन सम्पदा, बंगला, गाडी, नौकर चाकर होने के बाद भी उन्हें मानसिक रूप से शांति नहीं हैं आज इंसान अपना दुखडा तो दूसरों के सामने रो लेगा, मगर सामने वाले की बात सुनने के लिए उसके पास वक्त नही हैं।
इसलिए इस बात का ध्यान रखे कि जब कोई आपकी बात ध्यान से न सुने, तब आप मौन हो जाये। चूंकि आपके मौन रहने में ही भलाई हैं। आज का इंसान अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो गया है कि वह दोस्ती, रिश्ते नाते सब भूल गया हैं। बडों का मान सम्मान करना भूल गया हैं।
यह सब आदर्श संस्कारों का अभाव हैं। संयुक्त परिवार बिखर रहें हैं टूट रहे हैं और एकल परिवार में माता पिता के पास वक्त नहीं हैं कि वे बच्चों को संस्कारवान, चरित्रवान व ज्ञानवान बना सकें। संस्कार कोई बाजार में बिकने वाली चीज नहीं हैं कि जब चाहा तब जरूरत के हिसाब से खरीद लिया।
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