एक सोच : आजादी का अर्थ स्वच्छंदता नहीं
आजादी का अर्थ स्वच्छंदता नहीं, नही, नही, नहीं। देशवासियों उठो, जागों और बेईमानों को पुलिस प्रशासन के हवाले करों। प्रेम, स्नेह, भाईचारा, संयम, धैर्य, सहनशीलता, त्याग, निस्वार्थ सेवा का भाव, करूणा, ममता जैसे मानवीय मूल्यों की पुनः स्थापना करे। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
हर वर्ष हम 15 अगस्त को आजादी का पावन दिवस मनाते हैं और राष्टी्य ध्वज तिरंगा फहराते हैं। चूंकि यह दिन हमारे आजादी के अमर शहीदों के त्याग व बलिदान का भी दिन हैं जिनकी बदौलत हमें यह आजादी मिली। अमर शहीदों ने देश की आजादी, एकता, अखंडता व सम्प्रभुता की रक्षा कर हमें आजादी के माहौल में सांस लेने की आजादी दिलाई
15 अगस्त 1947 को देश भारत आजाद हुआ हमारे शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत माता को अंग्रेजों की दास्ता से मुक्त कराया। अतः उन सभी ज्ञात व अज्ञात अमर शहीदों को शत शत नमन। हमारे तिरंगे का केसरिया रंग त्याग व बलिदान का प्रतीक हैं। सफेद रंग शांति का प्रतीक है और हरा रंग हमारी खुशहाली व हरियाली का प्रतीक हैं। सफेद रंग में स्थित चक्र हमारी प्रगतिशीलता का प्रतीक हैं।
लेकिन आज हम आधुनिकता की अंधी दौड में आजादी का सही अर्थ ही भूल गये। आज की युवापीढी ने आजादी का अर्थ स्वच्छंदता व अपनी मनमानी से लगा लिया। यही वजह है कि आजादी के बाद हमने प्रगति व उन्नति के नाम पर जो भी पाया वह बढती जनसंख्या के चलते ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं जबकि खोने को हमने बहुत कुछ खोया हैं।
आज हम पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं और अपनी ही सभ्यता व संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। नैतिक मूल्यों, आदर्श संस्कारों तक को भूल गये। अपने माता-पिता, अपने गुरूजनों, सच्चे साधु संतों, अपने से बडों का मान सम्मान करना भूल गये केवल हाय-हल्लों से काम चलने वाला नहीं हैं। हमारी संस्कृति हरि का नाम भजना सीखाती हैं।
आज पडौसी-पडौसी को नहीं जानता, भाई-भाई में नहीं बनती, बूढे मां बाप की सेवा नहीं करते, यह कैसी संस्कृति और कैसी आजादी। प्रेम, शांति, दया, ममता, करूणा, वात्सल्य, संयम, धैर्य, सहनशीलता, अहिंसा के स्थान पर आज हर तरफ हिंसा, मारपीट ठगी, लूटपाट, बेईमानी, भ्रष्टाचार, देह शोषण, आत्महत्या, हत्या, बलात्कार जैसे आपराधिक कृत्य बढ रहे हैं। क्या आजादी इसे कहते हैं।
नही, नही, नहीं। देशवासियों उठो, जागों और बेईमानों को पुलिस प्रशासन के हवाले करों। प्रेम, स्नेह, भाईचारा, संयम, धैर्य, सहनशीलता, त्याग, निस्वार्थ सेवा का भाव, करूणा, ममता जैसे मानवीय मूल्यों की पुनः स्थापना करे। बच्चों को संस्कारवान, चरित्रवान व ज्ञानवान बनायें एवं संगठित व मजबूत भारत का नव निर्माण करें।
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