वर्षाकाल के दौरान 72 लोग गंवा चुके हैं जान, इन जिलों में मची ज्यादा तबाही
वर्षाकाल के दौरान 72 लोग गंवा चुके हैं जान, इन जिलों में मची ज्यादा तबाही, उत्तराखंड में मई-जून से ही वर्षा का क्रम शुरू हो गया था। मानसून के आगमन के बाद वर्षा का क्रम तेज होता चला गया। इसके कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। सबसे अधिक नुकसान प्रदेश के उत्तरकाशी और हरिद्वार जिले में हुआ है।
देहरादून। वर्षाकाल शुरू होने के साथ ही प्रदेश में दुश्वारियां भी बढ़ गई हैं। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में मार्ग बंद होने से लेकर बिजली-पानी और संचार का संकट खड़ा होने से लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। इसके अलावा आपदा के चलते पशुओं के साथ कई व्यक्तियों को भी जान गंवानी पड़ी है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार वर्षाकाल की शुरुआत 15 जून से लेकर अब तक उत्तराखंड में 72 जनहानि हुई है। मरने वालों में सबसे अधिक उत्तरकाशी और हरिद्वार जिले के निवासी शामिल हैं, जबकि 179 घायल हुए हैं। इसके अलावा 443 पशुओं की जान भी जा चुकी है, जिसमें 40 बड़े एवं 403 छोटे पशु शामिल हैं।
उत्तराखंड में मई-जून से ही वर्षा का क्रम शुरू हो गया था। मानसून के आगमन के बाद वर्षा का क्रम तेज होता चला गया। इसके कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। सबसे अधिक नुकसान प्रदेश के उत्तरकाशी और हरिद्वार जिले में हुआ है।
जुलाई के प्रथम सप्ताह में हुई वर्षा के बाद से हरिद्वार जिले के कई गांवों में हुए जलभराव के चलते आमजन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, उत्तरकाशी जिले में तीन अलग-अलग स्थानों पर बादल फटने की घटना के दौरान कृषि भूमि के साथ फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा पशु, गोशाला और भवनों को भी काफी क्षति हुई है और कई मकान खतरे की जद में आ गए हैं।
यहां तक कि सुरक्षा को देखते हुए कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कराया गया है। इसके अलावा गोशाला ध्वस्त होने से पशुहानि की घटनाएं भी आएदिन होती रहती हैं। पहाड़ी से बोल्डर गिरने से भी कई लोग जान गंवाने के साथ घायल भी हो चुके हैं। कुछ दिन पहले ही यमुनोत्री हाईवे पर तैनात पुलिस कर्मी की डाबरकोट में चट्टान की चपेट में आकर मौत हो गई थी।
प्रदेश में हुई क्षति
(नोट: 15 जून से अब तक)
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