कविता : जल बचाओ, ये है समय की पुकार
कविता : जल बचाओ, ये है समय की पुकार, जल से हवा बसंती चलती है। जल से खेतों में हरियाली आती है। जल से ऋतुओं की चाल बदलती है। जल से कोयल गीत मधुर गाती है । आगरा, उत्तर प्रदेश से मुकेश कुमार ऋषि वर्मा की कलम से…
जल बचाओ, ये है समय की पुकार ।
जल बरबादी, धरती पर अत्याचार ।।
जल से जीवन चलता है ।
जल से पंकज दल खिलता है ।।
जल से नदियां धारा बनती हैं ।
जल से कोमल कलियां खिलती हैं ।।
जल बचाओ, कुदरत को राहत पहुंचाओ ।
जल स्वच्छ रखो और पर्यावरण बचाओ ।।
जल से हवा बसंती चलती है ।
जल से खेतों में हरियाली आती है ।।
जल से ऋतुओं की चाल बदलती है ।
जल से कोयल गीत मधुर गाती है ।।
जल बचाओ, ये है समय की पुकार ।
जल बिन धरती पर मच जायेगा हाहाकार ।।
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