साहित्य लहर
कविता : आज कौन गुजरा मेरे घरे के सामने से
राजेश ध्यानी सागर
आज कौन
गुजरा
मेरे घरे के
सामने से।
वही महकी महकी सी
सुगन्ध।
जो कभी
यादों मे
मन को भांती थी।
जखम हिल
ना जाये
दिल कही बहक
ना जाये।
ऐ हवा !
दया कर दे मुझ पर
इस महक को
मेरे आंगन
रुकने मत देना ,
ऐसा ना हो
आंखें छलक
ना जायें
दिल कहीं बदल
ना जायें।
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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