साहित्य लहर
शाम बोली रात से ?
राजेश ध्यानी
शाम बोली रात से ?
अब मेरा दिवाना आयेंगा ,
रात कहें शांम से
मेरा चांद भी आयेगा।
हुई नौंक छौंक जब इनमें
शाम बोली ?
सपनें में खो जाऊगीं
संग उसके
मैं निहांरू वो निहांरें
प्यार की बातें करते हम
आंलिगंन में बन्ध जाऊगीं
ना छोडु जब पौअ फटे।
रात बोली !
सुन अब मेरी ?
खुलें आंसमा मे उसके
संग विचरण करूगीं ,
बादल क्या कर लेगा मेरा
मोंका ना मैं छोडूंगी।
सूरज सुन रहा
लुक छुप कर
कितना ये अहंकार भरा
आने दे जरा मुझकों
ना तू रहें
ना वो रहेंगीं ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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