गे पार्टनर्स ने यूं किया अपने साथी का मर्डर
नई दिल्ली। जुर्म की दुनिया में कई बार ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जो होते कुछ हैं और दिखाई कुछ और देते हैं. मगर सही तफ्तीश और मजबूत तहकीकात हर मामले की सच्चाई को उजागर कर देती है. ऐसा ही एक मामला कुछ माह पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से सामने आया था, जहां शिकायत तो अपहरण की थी. जांच में मामला हत्या का निकला और जब आरोपियों से पूछताछ की गई तो पूरी कहानी ही पलट गई.
मेरठ के जागृति विहार का रहनेवाला 21 का नौजवान यश रस्तोगी 26 जून की शाम को स्कूटी लेकर अपने घर से निकला था. घर से निकलते वक्त उसने थोड़ी ही देर में वापस लौट आने की बात कही थी. लेकिन शाम से रात हुई और रात से सुबह हो गई, लेकिन ना तो यश घर लौटा और ना ही घरवालों से उसकी कोई बात ही हुई. असल में उसके घर से बाहर जाने के कुछ ही देर बाद उसका मोबाइल फ़ोन भी ऑफ हो चुका था. ऐसे में घरवाले चाह कर भी उससे बात नहीं कर पा रहे थे और तब हार कर घरवालों ने पुलिस से शिकायत की.
पुलिस ने दर्ज की गुमशुदगी
मेरठ के मेडिकल थाने की पुलिस ने एक लड़के की इस रहस्यमयी गुमशुदगी पर किडनैपिंग यानी अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की और मामले की छानबीन शुरू कर दी गई. चूंकि मामला एक नौजवान के अपहरण का था, पुलिस ने मामले को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कई टीमें बनाई. और तो और एसओजी यानी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को भी इनवेस्टिगेशन का हिस्सा बनाया गया और एक साथ पुलिस ने कई पहलुओं से मामले की तफ्तीश शुरू कर दी.
सीसीटीवी से मिला सुराग
इनमें यश के घरवालों, दोस्तों और रिश्तेदारों से पूछताछ शामिल थी. साथ ही उसके मोबाइल नंबर की लोकेशन और उस पर हुई आखिरी बातचीत का ब्यौरा तलाशना भी मकसद था. इसी तरह से उसकी किसी सीसीटीवी कैमरे में कैद तस्वीरों पर भी पुलिस का फोकस था. पुलिस सब कुछ देख रही थी, एक्सप्लोर कर रही थी. लेकिन करीब ढाई सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और सैकड़ों मोबाइल नंबरों से यश के अपहरण के लिए ज़िम्मेदार लोगों की पहचान कर पाना इतना आसान नहीं था.
स्कूटी पर सवार था यश
उधर, पुलिस पर लड़के को जल्द से जल्द ढूंढने का दबाव लगातार बढ़ रहा था. लेकिन सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की स्कैनिंग से पुलिस को इस मामले का पहला सुराग मिला. वो ये कि 26 जून की शाम को यश अपनी स्कूटी से अकेले ही शहर के लिसाडी गेट इलाके की तरफ जाता हुआ दिखाई दिया और उसकी ऐसी तस्वीरें सिर्फ एक नहीं कई सीसीटीवी कैमरों में कैद हुईं थी. यानी शुरुआती तफ्तीश से एक बात तो साफ था कि उसे कोई जबरन उसके घर के पास से या फिर आस-पास के किसी ठिकाने से उठा कर नहीं ले गया. ये और बात है कि आगे उसके साथ शायद कोई ज़्यादती हुई थी.
इन्हीं सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में पुलिस को यश की गुमशुदगी को लेकर एक और सुराग मिला. पुलिस ने नोटिस किया कि यश अपनी स्कूटी पर लिसाडी गेट की तरफ जाता हुआ तो दिखा, लेकिन वहां से वापस लौटने की उसकी कोई भी तस्वीर कैमरों में कैद नहीं हुई थी. यानी शक इस बात का था कि उसके साथ जो भी ज्यादती हुई या फिर उसे जिसने भी गायब किया, उसने उसे लिसाढी गेट के इलाके में ही कैद करके रखा. इस स्कैनिंग में पुलिस के तीन से चार दिन निकल गए.
इस बीच पुलिस ने यश की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवाई, ताकि ये पता चल सके कि उसकी आख़िरी दफा किससे बात हुई और किन-किन लोगों से कितनी देर बातचीत हुई. इस कोशिश में पुलिस को एक-एक कर तीन लोगों के बारे में पता चला. ये लोग थे शावेज़, अलीशान और सलमान उर्फ़ सोनू. इनमें शावेज के साथ यश की आख़िरी दफा फोन पर बात हुई थी और उसकी बातचीत अलीशान और सलमान के साथ भी होती रही थी. यानी यश की गुमशुदगी से इन तीनों का कोई ना कोई लेना-देना ज़रूर था.
अब पुलिस ने बिना देर किए तीनों को इंटरसेप्ट कर लिया. शावेज लिसाढी गेट इलाके में ही एक फैक्टरी चलाता था और अलीशान उसके पास काम करता था. जबकि सलमान शावेज का दोस्त है और वो कपड़े का काम करता है. पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेने के बाद जब उनसे यश के बारे में पूछताछ की, तो उन्होंने भरसक पुलिस को अपनी तरफ से बरगलाने की कोशिश की. झूठी-सच्ची कहानियां सुनाईं. लेकिन जब पुलिस सख्ती पर आई, तो तीनों ने यश को जानने, उसका अपहरण करने और अपहरण के बाद उसकी हत्या कर देने तक की बात कबूल कर ली.
6 दिन बाद आई मौत की खबर
जी हां, जिन तीन संदिग्धों को पुलिस ने इंटरसेप्ट किया था, उन्हीं तीनों ने मिलकर 21 साल के एलएलबी स्टूडेंट यश रस्तोगी की हत्या कर दी थी. पूरे छह रोज़ बाद रस्तोगी परिवार को घर के इकलौते जवान बेटे की मौत की खबर मिली, तो पूरे परिवार पर आसमान टूट पड़ा. सिर्फ ये घर ही नहीं बल्कि पूरे मोहल्ले के लोग सकते में आ गए. यश अपनी पढ़ाई के साथ-साथ जीएसटी कंसल्टैंसी का भी काम करता था और अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाता था. एक नौजवान लड़के का यूं अचानक शहर के बीच से अपहरण हो जाना और उसका क़त्ल कर दिया जाना, वाकई काफी चौंकानेवाला था.
अब पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर ही पूरे छह रोज़ बाद 1 जुलाई की शाम को सादिक नगर इलाके के ओडियन थाने से यश रस्तोगी की बोरे में बंद सड़ी गली लाश बरामद की। लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया, ताकि कत्ल करने के तौर-तरीकों का पता चल सके, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लाश की हालत इतनी बुरी थी कि तमाम कोशिश करने के बावजूद मेडिकल फॉरेंसिक के एक्सपर्ट मौत की वजह पता नहीं लगा सके और आखिरकार उन्हें लाश का विसरा प्रिजर्व करना पडा, ताकि उसकी टॉक्सीकोलॉजी इनवेस्टिगेशन हो सके और हत्या की वजह साफ हो.
हालांकि पूछताछ में अब तक तीनों मुल्जिम तोते की तरह कत्ल की कहानी सुनाने लगे थे. शावेज़ ने बताया कि उसकी यश से करीब सात महीने पहले फेसबुक पर दोस्ती हुई थी. यश की लाइकिंग और उसके इंटरेस्ट को देखते हुए उसके फेसबुक मैसेंजर पर शावेज ने मैसेज किया था, जिसके बाद दोनों की दोस्ती हो गई. लेकिन सात महीनों की इस दोस्ती के बाद दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि 26 जून को पहले तो शावेज ने धोखे से यश को अपने पास अपनी फैक्ट्री में बुलाया और फिर अपने साथ काम करनेवाले अलीजान के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी.
ब्लैकमेलिंग का खुलासा
उन्हें उम्मीद थी कि वो कभी पकडे नहीं जाएंगे, लेकिन पुलिस ने अपहरण के छठे दिन मामले का खुलासा करते हुए तीनों को गिरफ्तार कर लिया. छानबीन में पता चला कि तीनों ने कत्ल से पहले यश के साथ जबरदस्ती रिश्ते भी बनाए थे. यानी उसका बलात्कार किया था. बहरहाल, बेमेल रिश्तों और ब्लैकमेलिंग के चलते एक घर के इकलौते बेटे का कत्ल हो गया था. अब उसके परिवार के पास सिवाय अफसोस करने के और कुछ भी नहीं बचा.
शावेज़ और अलीजान ने उसके हाथ पैर बांध दिए, उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और फिर गुस्से में उसका गला भी घोंट दिया. जिससे उसकी जान चली गई. लेकिन अब उनके पास उसकी लाश को ठिकाने लगाने की बड़ी चुनौती थी. क्योंकि इसमें हुई जरा ही गलती भी उनकी पोल खोल सकती थी. लिहाजा, शावेज ने अपने एक दोस्त सलमान को अपनी फैक्ट्री में बुलाया और पूरी बात बताई. लेकिन तब तक कई घंटे गुज़र चुके थे और दिन का उजाला हो चुका था.
ऐसे में दिन दहाडे एक लाश को निपटाने की कोशिश करना खतरनाक हो सकता था. इसलिए तीनों दिन भर लाश को निपटाने के लिए अंधेरा होने का इंतज़ार करते रहे। इस तरह पूरे चौबीस घंटे गुजर गए और अगले दिन 27 जून को जब रात गहराई और उन्हें इस बात का यकीन हो गया कि अब उन्हें कोई देखनेवाला नहीं है, तो तीनों स्कूटी पर ही बोरे में बंद यश की लाश को चुपचाप ओडियन नाले तक ले गए और उसे फेंक कर वहां से फरार हो गए.
क्या थी कत्ल की वजह?
लेकिन अब सवाल ये था कि आख़िर शावेज और अलीजान ने यश की जान क्यों ली? आखिर दो दोस्तों के बीच ऐसा क्या हो गया कि शावेज, ने यश की हत्या करने जैसा बड़ा कदम उठा लिया. एक अहम सवाल ये भी था कि एक फैक्ट्री मालिक और एक एलएलबी स्टूडेंट के बीच आख़िर वो कौन सी कॉमन बात थी, जिसके चलते दोनों में दोस्ती हुई थी.