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अपराधउत्तराखण्ड समाचार

VPDO भर्ती घपले में हुआ नया खुलासा

सचिव की पत्नी का घर किराये पर लेकर किए काले कारनामे

एक ही गांव के अभ्यर्थियों को किया पास

ऊधमसिंह नगर इस परीक्षा में धांधली के गढ़ के रूप में सामने आया है। जिले के एक गांव के 20 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने इस सिंडीकेट को पैसे दिए थे। इन सबको पास कराया गया। इनमें से कई टॉपर भी बने। लेकिन, जब परिणाम रद्द कर परीक्षा दोबारा कराई गई तो इनकी पोल खुल गई। पहले टॉपर बने अभ्यर्थी सबसे नीचे आ गए थे। इन सब अभ्यर्थियों के बयान एसटीएफ दर्ज कर चुकी है।

देहरादून। वीपीडीओ भर्ती में धांधली के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सचिव एमएस कन्याल की पत्नी का घर किराये पर लिया था। इसी घर में अध्यक्ष, सचिव, परीक्षा नियंत्रक और कंपनी के सीईओ की मौजूदगी में ओएमआर शीटों को स्कैन कर फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया। जिन अभ्यर्थियों से पैसे लिए गए थे, उनकी ओएमआर शीटों में खाली गोलों को काला किया गया था।

कमरे में मौजूद सात लोगों में से पांच जेल जा चुके हैं जबकि दो को सरकारी गवाह बनाया जा चुका है। एसटीएफ की जांच में यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। एसटीएफ के अनुसार, इस मामले में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. आरबीएस रावत मास्टरमाइंड बताए जा रहे हैं। रावत के कहने पर ही कन्याल ने आरएमएस कंपनी के सीईओ राजेश पाल से संपर्क किया था।

परीक्षा में किस प्रकार धांधली की जा सकती है, राजेश पाल ने इसकी पटकथा तैयार कर दी। रावत के कहने पर आयोग के नाम से पित्थूवाला स्थित एमएस कन्याल की पत्नी के नाम का घर किराये पर लिया गया। यहां दो कमरों को ऑफिस बनाया गया। आरोपियों ने पहले से ही लगभग 50 अभ्यर्थियों के रोल नंबर लिए थे। इस ऑफिस में रिजल्ट तैयार करने का काम शुरू हुआ। इनसे पहले ही कह दिया गया था कि अपनी-अपनी ओएमआर शीटों में गोले खाली रखने हैं।

ओएमआर शीटों की स्कैनिंग से पहले इस ऑफिस में गोले काले किए गए। इस दौरान वहां आरबीएस रावत, एमएस कन्याल, आरएमएस कंपनी का सीईओ राजेश पाल, कर्मचारी विपिन बिहारी, परीक्षा नियंत्रक राजेश पोखरिया मौजूद थे। इनमें से अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक को शनिवार को जेल भेजा गया है। जबकि, सीईओ राजेश पाल और विपिन बिहारी पहले ही जेल जा चुके हैं। दो को एसटीएफ ने सरकारी गवाह बनाया है।

सात से आठ लाख में हुआ एक अभ्यर्थी से सौदा

इस परीक्षा में एक अभ्यर्थी से सात से आठ लाख रुपये का सौदा हुआ था। नकल सिंडीकेट के कहने पर सभी कन्याल से मिले थे। इनमें से कई ने पैसे कन्याल को उनके घर पर दिए जबकि कुछ ने कार में दिए। आरएमएस कंपनी का मालिक राजेश चौहान भी आयोग के इस दफ्तर में कई बार आता-जाता रहता था। कन्याल के खिलाफ कई अभ्यर्थियों ने कोर्ट में भी बयान दर्ज कराए हैं।

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