कविता : विजयादशमी
सुनील कुमार
हर साल की तरह इस साल भी
रावण का पुतला जलाएंगे
बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएंगे ।
पर क्या इस तरह हम
अपने भीतर के रावण को मार पाएंगे
बुराइयों और समस्याओं को खत्म कर पाएंगे।
क्या मात्र रावण का पुतला जलाने से
हमारी असुरी प्रवृत्तियां खत्म हो जाएंगी
घटनाएं अपहरण,हत्या,बलात्कार की रुक जाएंगी ?
त्रेता युग के एक दशानन को तो
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने खत्म कर दिया था
पर कलयुग में तो हमारे सामने
समस्या रूपी दशाननों की फौज है ।
क्या मात्र पुतला जलाकर हम
इन दशाननों को खत्म कर पाएंगे
या इनसे मुक्ति का कोई और रास्ता निकाल पाएंगे।
विजयादशमी की खुशियां मनाने से पहले
हमें सोचना होगा
रावण दहन का तरीका नया खोजना होगा
तभी हम देश के विकास में बाधक
समस्याओं और बुराइयों रूपी आधुनिक
दशाननों को खत्म कर पाएंगे।
वरना वही पुराने तरीके से
इस साल भी रावण का पुतला जलाएंगे
और विजयादशमी की झूठी खुशियां मनाएंगे
पर आधुनिक दशाननों की फौज से
मुक्ति कभी न पाएंगे।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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