विद्यार्थियों को शिक्षित कर हीरे की तरह तरासता है शिक्षक
सुनील कुमार माथुर
5 सितम्बर को हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति स्व 0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन है जो हर वर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है चूंकि स्व0 राधाकृष्णन स्वंय एक महान शिक्षक व शिक्षाविद थे । इसलिए 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उत्कृष्ट व उल्लेखनीय कार्य करने वालें शिक्षकों का राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान किया जाता हैं । यह शिक्षकों के लिए गर्व व गौरव की बात हैं।
शिक्षा के बिना व्यक्ति का सर्वागीण विकास संभव नहीं है । समाज के विकास में शिक्षा की महती भूमिका हैं । अतः आभिभावकगण बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास करे ताकि ताकि आगे बढने के बेहतर रास्ते चुनने में उसे अवसर मिल सकें । साथ ही साथ बालक और बालिकाओं दोनों को समान आवसर दिये जायें । बालिकाएं भी पढ लिखकर अपने भविष्य का सही निर्णय ले सकें सकती हैं। अशिक्षित व्यक्ति को पशु के समान कहा जाता हैं । अर्थात मनुष्य के जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व होता हैं।
सेवानिवृत शिक्षक व साहित्यकार चेतन चौहान का कहना हैं कि मनुष्य शिक्षित होकर ही अपना व समाज का विकास कर सकता हैं । चूंकि शिक्षा हमें सोचने व समझने की शक्ति देती हैं और हमारी तर्क शक्ति बढाती हैं । शिक्षा से हमारा धैर्य , चिंतन मनन और संकल्प की शक्ति बढती हैं । शिक्षा ही वो धन है जो बांटने से बढता हैं । अतः हर व्यक्ति को चाहिए कि वह स्वंय भी पढे और दूसरो को भी पढाये। साथ ही साथ हमें ऐसी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए जिससे हमारा सर्वांगीण विकास हो सकें।
शोध छात्रा परीक्षणा माथुर का कहना है कि विधार्थियों को शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार देने में बहुमूल्य योगदान सदैव से रहा हैं । चूंकि शिक्षक समाज के पथ प्रदर्शक और मजबूत आधार स्तम्भ हैं । विधार्थियों के चरित्र निर्माण और उन्हें योग्य एवं जिम्मेदार नागरिक बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हैं । सुरक्षित व संस्कारवान युवापीढ़ी ही देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाती हैं ताकि देश में सद् भावना, देश प्रेम और भाईचारा की भावना का संचार हो । शिक्षक ही समाज व राष्ट्र की धरोहर है।
शोध छात्रा परीक्षणा माथुर का यह भी कहना हैं कि जिस तरह से एक शिल्पकार मूर्ति को गढने में अपना सब कुछ झौंक देता हैं उसी तरह से गुरू भी बच्चों को योग्य बनाने में अपनी पूरी शक्ति झौंक देता हैं और विधार्थियों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने का प्रयास करता हैं । कहने का तात्पर्य यह है कि गुरु अच्छे शिष्य तैयार करने के लिए अपना जीवन तक लगा देते हैं । अच्छे व समर्पित भाव से कार्य करने वाले शिक्षकों पर पूरा देश गर्व करता हैं चूंकि वह विधार्थियों को शिक्षित कर हीरे की तरह तरासता है । गुरु हमें बेहतर जीवन जीने के काबिल बनाता हैं।
मैंने अपने स्कूली जीवन में शिक्षक भवानी लाल देशबंधु से अध्ययन के साथ ही साथ अच्छा लेखन कैसे किया जायें यह बात सीखीं वहीं दूसरी ओर डिल मास्टर देवीलाल जी से ( जो आज भी मोडा माड साहब के नाम से जाने जाते है ) उस वक्त कराई जाने वाली पीटी व वृक्षारोपण का महत्व सीखा जिस पर आज भी अमल कर रहा हूं चूंकि जहां एक ओर पौधे धरती के आभूषण है, श्रृंगार है वही दूसरी ओर पेड पौधों से हमें अनेक प्रकार के फल , फूल व औषधियां प्राप्त होती है । तथा नियमित रूप से पीटी ( एक्सससाईज ) से शरीर स्वस्थ रहता हैं और बीमारियों से मुक्त रहते है और मन हमेशा प्रसन्नचित्त रहता हैं।
आज भले ही ये दोनों शिक्षक इस नश्वर संसार में नहीं है लेकिन उनके बतायें मार्ग पर चलकर विधार्थी कुशल मंगल व प्रसन्नचित्त हैं । वे शिक्षक ही नहीं अपितु दिव्य आत्माएं थी जो एक आदर्श जीवन जीने का रास्ता बता गयें।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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