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साहित्य लहर

गीत : हमारे बापू

डॉ. कविता नन्दन

सत्य, अहिंसा, प्रेम, विनय की
राह हमें यह दिखलाया
हो जन-जन में उत्सर्ग भाव की
चाह हमें यह सिखलाया / सत्य-अहिंसा…

लूट-पाट यह छीना-झपटी
भारत की पहचान नहीं है
भेद-भाव इस ऊँच-नीच से
मिलता कुछ सम्मान नहीं है

है प्रेम मनुज का श्रेष्ठ आचरण
बापू ने यह बतलाया / सत्य-अहिंसा…

तन की भूख सहज प्रवृत्ति हो
जितना उचित इसे दे-दो
मन की भूख निर्बंध नहीं हो
अनुचित इसे न बढ़ने दो

संचित धन को बाँट दो सब में
मानवता यह सिखलाया / सत्य-अहिंसा…

राम-रहीम में भेद नहीं है
बतला कर वह चले गए
भाषा-धर्म का भेद मिटाओ
सिखला कर वह चले गए

दे करके बलिदान स्वयं का
नेक राह यह दिखलाया / सत्य-अहिंसा…


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

डॉ. कविता नन्दन

लेखक एवं कवि

Address »
द्वारका, नई दिल्ली | Mob : 8737924527

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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