देश को एक और झटका

प्रेम बजाज

जी हां लगभग एक साल में देश की कई महान फिल्मी हस्तियां इस जहां से अलविदा कह चुकी हैं। आज दिन रविवार 16 जनवरी 2022 शाम चार बजे एक और मशहूर फिल्म गीतकार, कवि, शायर, एक सुलझा हुआ और प्रसिद्ध लेखक इस जहां को अलविदा कह गया।

इब्राहीम अश्क 20 जुलाई 1951 में मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के मंदसौर में किसान परिवार में जन्मे जो लगभग 70-71 साल के इस दुनियां से चलायमान हो गए।इनकी शुरूआती शिक्षा बडनगर में हुई, स्नातक की इन्दोर विश्वविद्यालय से पास करने के बाद वहीं से ही स्नाकोत्तर भी किया।

अश्क अपने शुरूआती दौर में इन्दोर समाचार, शुषमा, सरिता एवं शमां के लिए काम किया करते थे, वे 12 सालों तक पत्रकारिता के हूं जुड़े रहे। उसके बाद वो मुम्बई चले गए। कोई मिल गया, कहो ना प्यार है, वैलकम, बहार आने तक, युवराज, चांदनी, जानशीन जैसी ना जाने कितनी फिल्मों के गीत लिखे।

इन्हें गीत लिखने कि प्रेरणा अपनी मां से मिली, उनका कहना था कि जब उनकी मां मीठे स्वर में कोई गीत गुनगुनाया करती तो उन्हें बेहद आनन्द आता था। उनकी प्रेरणा से अश्क साहब ने गीत लिखना आरंभ किया।

अश्क साहब का मानना था कि जो रचनाकार उन्हें प्रभावित करता है, वही उनका गुरू है। इब्राहीम अश्क ने केवल गीत, गज़ल ही नहीं अपितु नज़्म, दोहा, रूबाई, मसनवी, मर्सिया, सवैया, कुंडली, माहिया गज़ल, समालोचना इत्यादि अनेक विद्याओं पर अपनी लेखनी का हुनर दिखाया।

एवं टेलिविज़न पर प्रसारित होने वाले सिरीयल संस्कार, शकुंतला, कोई तो होगा, गुलाबो आदी के लिए भी गीत लिखे। अश्क साहब की ग़ज़लों – नज़मो की काफी पुस्तकें छपी है जिनमें अल्लाह ही अल्लाह, अल्मास, अगाही, अन्दाज़े- बयां, ताज़ाकार इत्यादि प्रसिद्ध है।

साहित्य सृजन के लिए इन्हें साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया, एम एफ हुसैन के हातून स्टार डस्ट सम्मान से सम्मानित किया गया, मध्यप्रदेश से सद्भावना मंच का कालिदास सम्मान द्वारा सम्मानित किया गया, इंतसाब ग़ालिब सम्मान द्वारा सम्मानित किया गया, तथा मजरूह सुल्तानपुरी जैसे अनेकों सम्मान से सम्मानित किया गया।

इब्राहीम अश्क का मानना था कि एक कलमकार को लिखने से ज्यादा पढ़ना चाहिए, फल की इच्छा किए बिना कर्म करते रहे। अश्क साहब अच्छा खाना और अच्छा पहनना के शौकीन थे। अश्क साहब अपने जीवन काल में अपनी मां से सबसे अधिक प्यार करते थे।

उनका कुछ मशहूर शेर-

नहीं है तुम में सलीका जो घर बनाने का, तो जाओ जा कर परिंदों के आशिया देखो.
तेरी ज़मी से उठेंगे तो आसमां होंगे, हम जैसे लोग ज़माने में फिर कहां होंगे
खुद अपने-आप से लेना था इंतकाम मुझे, मैं अपने हाथ के पत्थर से संगसार हुआ


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

प्रेम बजाज

लेखिका एवं कवयित्री

Address »
जगाधरी, यमुनानगर (हरियाणा)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights