अंकिता का जन्मदिन, परिवार को अब तक नहीं मिला इंसाफ का तोहफा
अंकिता का जन्मदिन, परिवार को अब तक नहीं मिला इंसाफ का तोहफा… अंकिता हत्याकांड मामले में पुलिस ने पुलकित आर्य सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पौड़ी जिले के यमकेश्वर में वनंत्रा रिजॉर्ट में अंकिता भंडारी (19) रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्य करती थी। 18 की रात वह अचानक लापता हो गई तो उसकी तलाश शुरू हुई।
देहरादून। जिस घर में आज बेटी के जन्मदिन की खुशी मनाई जानी थी, वहां आज सन्नाटा पसरा है। हर पल हंसती-मुस्कुराती रहने वाली अंकिता भंडारी का आज 11 नवंबर को जन्मदिन है, लेकिन बेटी के जन्मदिन के दिन पूरे परिवार की आंखों में आंसू हैं। जन्मदिन के साथ ही आज परिजनों के लिए एक और खास दिन है।
अंकिता के गुनहगारों के साथ क्या होगा, इसका फैसला भी आज होगा। पौड़ी गढ़वाल निवासी आशुतोष नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। परिजनों का कहना है कि अगर आज अंकिता को न्याय मिला तो यही उसके जन्मदिन का तोहफा होगा।
पौड़ी गढ़वाल निवासी आशुतोष नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि पौड़ी निवासी अंकिता भंडारी हत्याकांड के सुबूत विधायक रेनू बिष्ट के निर्देश पर वनअंतरा रिजॉर्ट में बुलडोजर चलवाकर नष्ट कर दिए गए हैं। रिजॉर्ट में बतौर रिसेप्शिनिस्ट रही अंकिता के कमरे से चादर तक गायब कर दी गई। याची ने इस प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग की थी।
अंकिता की गुमशुदगी के मामले में 23 सितंबर को पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस पूछताछ में उन्होंने हत्या की बात स्वीकारी। आरोपियों की निशानदेही पर ही अंकिता का शव 24 सिंतबर को एक नहर से बरामद किया गया था। उधर, प्रदेश महिला कांग्रेस ने उत्तराखंड की बेटियों को न्याय के लिए घंटाघर से गांधी पार्क तक कैंडल मार्च निकाला।
कैंडल मार्च में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि मूल रूप से पौड़ी की रहने वाली दोनों बेटियों को न्याय मिले इसके लिए सरकार कोई विकल्प तलाशें। बेटियां पूछ रहीं हैं कि कोई तो ऐसा है जो उनका गुनहगार है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में बेटी के मामले में प्रदेश सरकार राज्य के तौर पर कानूनी लड़ाई नहीं लड़ पाई है। बेटी अंकिता भंडारी के परिवार को 25 लाख और उसके भाई को नौकरी देने की जो मुख्यमंत्री ने बात कही है, वह सराहनीय है।
वहीं सहायता दिल्ली में उत्तराखंड की बेटी के साथ जो हुआ उसके परिवार को मिलनी चाहिए। न्यायिक विकल्प ढूंढने के लिए मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल जैसे संवैधानिक न्याय के विशेषज्ञों की सहायता ली जाए। दुष्कर्म जघन्यतम अपराध है, उसके दोषी को हम पाताल से भी ढूंढकर सजा देंगे। यह छोटे राज्य का दृढ़ संकल्प होना चाहिए।