प्रति घंटा 3 बलात्कार और प्रति दिन 80 मर्डर का आंकड़ा

नई दिल्ली। आजादी के एक साल बाद 1948 में देश के पुलिस थानों में 6 लाख के आसपास आपराधिक केस दर्ज हुए थे. आजादी के 75 साल बाद 2021 में 60 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए. साफ है कि आजादी से अब तक देश में अपराध 10 गुना ज्यादा बढ़ गया है. ये सारी जानकारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में आई है. NCRB केंद्र सरकार की एजेंसी है. ये एजेंसी 1953 से अपराधों का लेखा-जोखा रख रही है. 1953 में इसकी पहली रिपोर्ट आई थी, जिसमें 1948 के आंकड़े भी दिए गए थे.

हाल ही में NCRB ने 2021 की रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक, पिछले साल देशभर में 60.96 लाख आपराधिक मामले दर्ज हुए थे. इनमें से 36.63 लाख मामले इंडियन पीनल कोड (IPC) के तहत दर्ज हुए थे. हालांकि, 2020 की तुलना में 2021 में करीब 8% मामले कम दर्ज हुए हैं. 2020 में 66 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे. NCRB की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में देशभर में मर्डर के 29,272 मामले दर्ज किए गए. यानी, हर दिन 80 मामले. 2020 की तुलना में ये आंकड़ा 0.3% ज्यादा रहा. 2020 में मर्डर के 29,193 केस दर्ज हुए थे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि मर्डर की सबसे बड़ी वजह ‘विवाद’ रही. पिछले साल विवाद की वजह से 9,765 हत्याएं हुई थीं. वहीं, निजी दुश्मनी के चलते 3,782 मर्डर हुए थे. इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 1 लाख से ज्यादा लोगों का अपहरण हुआ था. जिनका अपहरण हुआ था, उनमें 86,543 महिलाएं थीं. इनमें भी 58 हजार से ज्यादा नाबालिग.

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कितने अपराध?

2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4.28 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे. इस हिसाब से हर दिन 1,173 मामले हुए. 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 15% से ज्यादा मामले दर्ज हुए. वहीं, बच्चों के खिलाफ अपराध के 1.49 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. ये संख्या 2020 की तुलना में 16% से ज्यादा है. बच्चों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले किडनैपिंग और POCSO एक्ट के तहत दर्ज हुए थे.

वहीं, बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 31,878 पीड़िताएं थीं. यानी, हर घंटे तीन महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ. इनमें 28,840 वयस्क और 3,038 नाबालिग थीं. बलात्कार की कोशिश के 3,800 मामले दर्ज हुए. बलात्कार के 97% मामलों में पहचान वाला ही आरोपी निकलता है. पिछले साल 31,677 में से 30,571 मामलों में आरोपी पीड़िता की पहचान वाला ही है. जबकि 2,024 मामलों में परिवार का ही कोई सदस्य आरोपी था.

वहीं 15,196 मामलों में आरोपी कोई पारिवारिक दोस्त, पड़ोसी या जान-पहचान का ही था. जबकि 12,951 मामलों में ऑनलाइन फ्रेंड, लिव-इन पार्टनर या शादी का झांसा देने वाला आरोपी था. 1,106 मामलों में आरोपी की पहचान नहीं हो सकी.

रिपोर्ट में और क्या-क्या सामने आया…?

  • पिछले साल 31,170 मामले नाबालिगों के खिलाफ दर्ज हुए थे. इनमें 37,444 नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया था. 76% से ज्यादा मामलों में नाबालिगों की उम्र 16 से 18 साल के बीच थी.
  • बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के 26,110 मामले दर्ज किए गए थे. बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले चोट पहुंचाने के दर्ज हुए थे.
  • अनुसूचित जाति के खिलाफ 50,900 और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अपराध के 8,802 मामले दर्ज किए गए. 2020 की तुलना में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के मामलों में 1.2% और जनजाति के खिलाफ 6.4% बढ़ोतरी हुई थी.
  • पिछले साल सरकार के खिलाफ अपराध के 5,613 मामले दर्ज किए गए थे. सबसे ज्यादा 4,089 मामले सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के दर्ज हुए थे, जबकि UAPA के तहत 814 केस दर्ज हुए थे.
  • 2021 में 58 लाख से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से 34.92 लाख आरोपियों को IPC क्राइम और 23.17 लाख को स्पेशल एंड लोकल लॉ (SLL) के क्राइम में गिरफ्तार किया गया था. IPC क्राइम के तहत 8.85 लाख और SLL क्राइम में 13.28 आरोपियों को दोषी साबित किया गया था.
साभार : प्रियंक द्विवेदी (आज तक)

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